नई दिल्ली,

मोदी सरकार ने स्पेस में जंग की स्थिति में आर्म्ड फोर्सेज की ताकत बढ़ाने के लिए एक नई एजेंसी बनाने को मंजूरी दी है। एजेंसी का नाम डिफेंस स्पेस रिसर्च एजेंसी (DSRO) रखा गया है, जो उच्च क्षमता के आधुनिक हथियार और टेक्नोलजीज विकसित करेगी।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट कमिटी (CCS) ने नई एजेंसी गठित करने को मंजूरी दे दी है। DSRO पर स्पेस वॉरफेयर वेपन सिस्टम्स और टेक्नॉलजीज तैयार करने का जिम्मा होगा।

अमेरिका के बाद अब भारत ने भी स्पेस वॉर को ध्यान में रखते हुए अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

आपको बता दें कि भारत ने ऐसे समय में स्पेस वॉर के खतरे पर फोकस किया है जब अमेरिका पहले ही 2020 तक स्पेस फोर्स बनाने का ऐलान कर चुका है। अमेरिका के इस फैसले से चीन की टेंशन बढ़ गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि वह भी इस दिशा में आगे बढ़ सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका ने चुनौतियों के रूप में रूस और चीन का नाम लिया है।

मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि सरकार में यह फैसला उच्चस्तर पर हाल ही में लिया गया है और अब एजेंसी ने एक जॉइंट सेक्रटरी स्तर के वैज्ञानिक के तहत आकार लेना भी शुरू कर दिया है। आगे एजेंसी को वैज्ञानिकों की एक टीम उपलब्ध कराई जाएगी, जो तीनों सेनाओं के साथ मिलकर काम करेगी।

यह एजेंसी डिफेंस स्पेस एजेंसी (DSA) को रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट का सहयोग करेगी। DSA में तीनों सेनाओं के सदस्य शामिल हैं। DSA को स्पेस में जंग लड़ने में सहयोग करने के लिए बनाया गया है।

आपको बता दें कि इसी साल मार्च में भारत ने एक ऐंटी-सैटलाइट टेस्ट किया था, जिसके जरिए भारत ने स्पेस में सैटलाइट को मार गिराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। इस मिसाइल टेस्ट के साथ ही भारत ऐसी क्षमता रखने वाले चार देशों के विशेष क्लब में शामिल हो गया है। इस टेस्ट से भारत ने अपनी डिटरेंस क्षमता भी विकसित कर ली है, जो जंग के समय दुश्मन को भारतीय सैटलाइट पर हमले से रोकेगी।

डिफेंस स्पेस एजेंसी को बेंगलुरु में एक एयर वाइस मार्शल रैंक के अधिकारी के तहत स्थापित किया गया है, जो धीरे-धीरे तीनों सेनाओं की स्पेस से संबंधित क्षमताओं से लैस हो जाएगी। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने स्पेस और साइबर वॉरफेयर को हैंडल करने के लिए इन एजेंसियों का गठन किया है। इसके साथ ही एक स्पेशल ऑपरेशंस डिविजन भी बनाया जा रहा है जिसका मकसद देश के भीतर और बाहर स्पेशल ऑपरेशन में सहयोग करना है।

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