रायपुर, आदिमकाल की गोंड जनजाति की मातृ भाषा गोंडी अब ग्लोबल होगी। लोग जल्द अपने मोबाइल फोन पर गोंडीभाषा में वीडियो मैसेज और गोंडवाना साहित्यक सामग्रियों,गीत संगीत,कथाओं का अध्ययन कर जानकारी हासिल कर सकेंगे। जानकारी के मुताबिक यह सब कुछ मोबाइल एप ऐप में टेक्स्ट टू स्पीच का तकनीक उपयोग करके किया जाएगा।
माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च, आईआईआईटी नया रायपुर और सीजीनेट स्वर फाउंडेशन ने एक आदिवासी रेडियो ऐप विकसित किया जा रहा है। इस ऐप में टेक्स्ट टू स्पीच तकनीक का उपयोग किया गया है।
जिसमें लिखे हुए समाचार को अब मशीन की मदद से सुना भी जा सकेगा।इस ऐप में गोंडी जैसी आदिवासी भाषाओं में अनुवाद किया गया है जिन्हें हिंदी पढ़ना नहीं आता है उनके लिए यह ऐप बहुत उपयोगी होगा।
इस ऐप का लोकार्पण करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के साथियों ने 30 जुलाई से आईआईआईटी नया रायपुर में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। इसके साथ यह दल गोंडी से हिंदी एवं अन्य भाषाओं में मशीन की मदद से अनुवाद करने का यन्त्र बनाने पर भी काम हो रहा है।इस कार्य की शुरुआत के लिए सीजीनेट स्वर के साथियों ने गोंडी में 400 बच्चों की कहानी की किताबों का अनुवाद किया है।यह कहानी की किताबें प्रथम बुक्स संस्था की ओर से उपलब्ध कराई गयी थी।
इनको हिंदी से गोंडी में अनुवाद किए गए।अब इनमें मौजूद 10 हजार वाक्यों को अब मशीन ट्रांसलेशन यन्त्र बनाने के लिए कम्प्यूटर में फीड किया जाएगा। इस प्रयोग के सफल होने के बाद मशीन हिंदी और अन्य भाषाओं से गोंडी में तथा उसका उलटा अनुवाद कर सकेगा जैसा अन्य उन्नत भाषाओं में होता है।