रायपुर, 22 अगस्त
23 सितंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्मदिवस है। इस दिन भूपेश बघेल 59 साल के हो जाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैसा रहा है भूपेश बघेल का जीवन औऱ उनका मुख्यमंत्री बनने तक का राजनीतिक सफर-
23 सितंबर 1961 को गांव-बेलौदी, तहसील-पाटन, जिला-दुर्ग में नंदकुमार बघेल और स्वर्गीय बिंदेश्वरी बघेल के घर भूपेश बघेल ने जन्म लिया। 32 वर्ष की आयु में अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा में भूपेश बघेल पहली बार विधायक बनकर पहुंचे। हालांकि उनका राजनीति सफर युवक कांग्रेस से शुरु हुआ था, लेकिन 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद दुर्ग से निकाली गई 350 किलोमीटर लंबी सद्भावना पदयात्रा से भूपेश बघेल को राजनीतिक पहचान मिली।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ग्रामीण परिवेश से निकले भूपेश बघेल अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। सरकारी स्कूल से 12वीं पास करके रायपुर पहुंचे भूपेश बघेल ने रायपुर साइंस कॉलेज में बीएससी प्रथम वर्ष में दाखिला जरूर लिया, लेकिन जल्द ही उन्हें आभास हो गया कि साइंस की पढ़ाई उनके बस की बात नहीं है। बीएससी से दाखिला वापस लेकर स्वंयपाठी छात्र के रूप में बी.ए. की पढ़ाई की और फिर एम.ए. प्रीवियस में पहुंच गये, लेकिन एम.ए. प्रीवियस की पढ़ाई भी स्वंयपाठी छात्र के रूप में की और एम.ए. फाइनल का प्रवेश फॉर्म ही नहीं भर पाए। जिस वजह उनके पोस्ट ग्रेजुएट होने का सपना अधूरा ही रह गया।
किसान पुत्र से सीएम की कुर्सी तक का सफर-
रायपुर से वापस बेलौदी गांव लौटकर भूपेश बघेल ने अपने पिता नंदकुमार बघेल के साथ खेती-किसानी की काम में हाथ बंटाना शुरु किया। लेकिन गांव में उनके बराबर पढ़ा-लिखा कोई नहीं था, लिहाजा गांव के लोग अपनी छोटी-मोटी समस्याएं और चिट्ठी वगैरह पढ़वाने-लिखवाने के लिए भूपेश बघेल के पास आने लगे। लोगों की समस्याओं के खत शासन-प्रशासन को लिखते-लिखते और उनको समझाइश देते-देते भूपेश बघेल को लगने लगा कि उनके इलाके के लोगों को राजनीतिक समझ और सलाह की आवश्यकता है। बस यहीं से भूपेश बघेल के राजनीतिक जीवन का सफर शुरु हो गया।
वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य के गठन से पूर्व अविभाजित मध्यप्रदेश शासन में भूपेश बघेल मुख्यमंत्री से संबद्ध मंत्री, परिवहन मंत्री का पद संभाला है। 2003 से वर्ष 2018 तक भूपेश बघेल विपक्ष के नेता के तौर पर सदन के भीतर और सदन के बाहर सड़क पर जनमुद्दों के लिए आवाज उठाते रहे।
वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद एआईसीसी ने भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जिसके बाद नवंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भूपेश बघेल के नेतृत्व में 68 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया।
17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सत्तासीन हुए भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए 8 महीने पूरे हो चुके हैं। अपने इस अल्पकाल में भूपेश सरकार ने तमाम फैसले लिये हैं। चुनावी घोषणा पत्र में किए गए तमाम वादों को पूरा किया है।
गढ़वो नवा छत्तीसगढ़-
छत्तीगढ़, छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ी अस्मिता को बचाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का पूरा फोकस स्थानीयता पर है। हर फैसले में स्थानीयता को प्रमुखता दी जा रही है। हाल ही में पेंड्रा-गौरेला और मरवाही को मिलाकर राज्य का 28वां जिला बनाने की घोषणा करके मुख्यमंत्री ने इस इलाके के लोगों की बरसों पुरानी मांग को पूरा कर दिया।
जो कहा सो किया की तर्ज पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के डेढ़ घंटे के भीतर ही 16.65 लाख किसानों की 6100 करोड़ रुपये की कर्जमाफी कर दी गई। किसानों से 2500 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी की जा रही है। बस्तर के लोहांडीगुड़ा में टाटा संयंत्र के लिए अधिग्रहित जमीन को आदिवासियों को वापस करके बड़ा कदम उठाया। 1500 स्क्वायर फीट से छोटे भूखंडों की खरीद-फरोख्त और रजिस्ट्री पर लगी रोक हटाकर जनहित को आवास मुहैया कराने का बड़ा फैसला किया। नान घोटाला, झीरम घाटी कांड, मिकी मेहता हत्याकांड आदि की जांच शुरु करवाकर न्याय दिलाने की दिशा में अहम कदम उठाया।
छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी अभियान को शुरु करके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास की नई राह खोल दी है। उनका मानना है कि राज्य की छवि ग्रामीण विकास के रास्ते से ही सुधर सकती है।
इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए और छत्तीसगढ़ियों को उनकी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहली बार हरेली तिहार पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर लाखों बहनों के मुख पर मुस्कान बिखेर दी। हरेली, हरितालिका तीज, छठ पूजा, कर्मा जयंती और विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करके मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ियों का मान बढ़ाया है।
किसान, आदिवासी, अनुसूचित जाति, बेरोजगार और महिलाओं को लेकर भूपेश बघेल बेहद संवेदनशील बने हुए हैं। अपने संघर्ष के दिनों में मीडिया और पत्रकारों से मिले सहयोग को देखते हुए मीडियाकर्मियों की सुरक्षा और सहूलियत के लिए नई विज्ञापन नीति और पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गए हैँ।
जनसरोकार, विकास और नवा छत्तीसगढ़ की संकल्पना को साकार करने के लिए बनाए गए रोडमैप पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल निरंतर चल रहे हैं। खर्चों में कटौती, फिजूलखर्ची रोकने और बेवजह किसी का काम रोकने को लेकर मुख्यमंत्री बेहद सख्त हैं। आगामी 52 महीनों के बचे कार्यकाल में भी विकास और प्रगति का ये क्रम लगातार इसी तरह चलते रहेगा, ऐसा सरकार का विश्वास है। मुख्यमंत्री के जन्मदिवस पर एनएसयूआई की प्रदेश इकाई राजधानी रायपुर में हाफ मैराथन का आयोजन कर कर रही है। जिसमें आप सभी आमंत्रित हैँ।