नई दिल्ली,
25 जून 1983 को शनिवार का दिन था, और आज मंगलवार है। 25 जून की दो घटनाएं भारत के इतिहास में दर्ज हैं। एक दिन था जब 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा था और एक दिन था जब 25 जून 1983 को लॉर्ड्स के मैदान पर भारत ने दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज टीम को हराकर पहली बार आईसीसी वर्ल्ड कप का खिताब जीता था।
1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने कपिल देव की कप्तानी में वेस्ट इंडीज को हराकर वर्ल्ड कप का खिताब जीता था । यह पहला मौका था जब टीम इंडिया ने बड़ा खिताब जीता और यही भारतीय क्रिकेट के लिए चेंजर साबित हुआ । उस वक्त क्रिकेट में इतना कम पैसा था कि 9-10 साल खेलने के बाद भी शायद ही किसी के पास कार थी । 2011 की बात करें तो विनिंग टीम के हर मेंबर को 2-2 करोड़ मिले थे। 36 बरस पहले भारत को पहली बार विश्व क्रिकेट का सिरमौर बनाने वाली कपिल देव की टीम को आज भी ‘क्रिकेट के मक्का’ पर मिली उस ऐतिहासिक जीत का मंजर याद है जब लॉर्ड्स की बालकनी पर खड़े होकर उन्होंने विश्व क्रिकेट के शिखर पर दस्तक दी थी।
हर चार साल में विश्व कप के दौरान टीवी पर बारंबार वह नजारा आंखों के सामने आ जाता है। उसके बाद भारत को 28 बरस इंतजार करना पड़ा जब अप्रैल में वानखेड़े स्टेडियम पर दोबारा विश्व कप उसकी झोली में आया। युवराज सिंह और हरभजन सिंह की आंखों से गिरते आंसू, विराट कोहली के कंधे पर सचिन तेंदुलकर और पूरे देश में मानों दीवाली सा जश्न। सुनील गावसकर, कपिल देव और क्रिस श्रीकांत की पीढ़ी के जुनून को तेंडुलकर, महेंद्र सिंह धोनी और वीरेंदर सहवाग जैसे सितारों ने आगे बढ़या।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय क्रिकेट आज जिस मुकाम पर है, उसका श्रेय 1983 की टीम को जाता है। कपिल ने हाल ही में एक वेब शो पर कहा कि उन्हें बहुत सी बातें याद नहीं है। अपने करियर में अनगिनत उपलब्धियां हासिल कर चुके दिग्गज के लिए यह स्वाभाविक भी है और उम्र का तकाजा भी। मदन लाल को हालांकि अभी भी सब कुछ याद है। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि कैसे भूल सकता हूं। मुझे बहुत कुछ याद है। कपिल की वह पारी, वेस्ट इंडीज को हराना, कीर्ति आजाद का इयान बॉथम को आउट करना और ऑस्ट्रेलिया को हराना।’