मुंबई, 19 अगस्त 2021
चौंका देने वाली इस घटना के सामने आने के बाद ईपीएफओ ने अपने मुंबई रीजन के 8 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है वहीं एक मुख्य आरोपी अधिकारी फरार चल रहा है. भविष्य निधि से जुड़ी इतनी बड़ी गड़बड़ी के मामले को सीबीआई जांच के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है.
कैसे हुआ गबन?
लॉकडाउन में लोगों को राहत देने के मकसद से ईपीएफओ ने विड्रॉल से जुड़ी शर्तों में ढील दी थी जिसका फायदा उठाकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया. आमदनी घटने और नौकरी जाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों ने अपने प्रोविडेंट फंड (PF) से पैसा निकालने की अर्जी दी थी जिसका तुरंत सेटलमेंट करना जरूरी था. वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने लॉगिन पासवर्ड दूसरे कर्मचारियों के साथ शेयर किए, जिससे कम वक्त में ज्यादा से ज्यादा सेटलमेंट हो सके. कुछ जूनियर कर्मचारियों ने इसका फायदा उठाते हुए कई खातों से पैसे निकाल लिए.
लंबे समय से बंद पड़े खातों का इस्तेमाल
ईपीएफओ में बड़ी संख्या में ऐसे बंद पड़े खाते हैं जिनमें काफी समय से कोई अंशदान (Contribution) नहीं किया गया है क्योंकि कंपनी बंद हो गई. घोटाले के लिए इन्हीं खातों का इस्तेमाल किया गया. आरोपी कर्मचारियों ने बंद पड़े इन खातों में शुरुआत में कुछ मामूली रकम डाली और बाद में कोरोना की आड़ में फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए पूरा पैसा निकाल लिया.
आम लोगों के लिए नसीहत
जिन खातों से पैसा निकाला किया गया है उनमें से कुछ खाते छोटी-छोटी कंपनियों से जुड़े हैं जिनमें आम लोगों का कॉन्ट्रीब्यूशन हैं. अब उन्हें अपने पैसे वापस लेने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. इसलिए EPFO के सभी सब्सक्राइबर्स को समय-समय पर अपने अकाउंट की जांच करनी चाहिए जिसमें उन्हें ब्याज की रकम और बाकी कॉन्ट्रीब्यूशन की जानकारी भी मिलती रहे.
ईपीएफओ से करोड़ों लोगों को उम्मीद
ईपीएफओ से 6 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स जुड़े हुए हैं जो अपनी सैलरी का एक हिस्सा हर महीने इसमें देते हैं. पेंशन और बाकी जरूरतों के लिए इसके फंड मैनेजर के पास 15 लाख करोड़ से ज्यादा कॉरपस है. 100 करोड़ के घोटाले से ईपीएफओ के खाताधारकों पर तो कोई खास असर नहीं पड़ेगा लेकिन इतना बड़ा मामला आने से लोगों का भरोसा जरूर कम हो जाता है.