नई दिल्ली, 8 जुलाई 2021
इस इशू ऑफर के तहत फ्रेश इक्विटी शेयर और नौकरीडॉटकॉम की पैरेंट कंपनी इंफो ऐज द्वारा ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) शामिल है. कंपनी के निवेशकों में ऐंट फाइनेंशियल्स, इंफो ऐज, Sequoia और उबेर भी शामिल हैं और कंपनी का कोई प्रमोटर नहीं है. कंपनी के मेगा आईपीओ में 75 फीसदी हिस्सा क्वालिफाईड इंस्टीट्यूशनल बॉयर्स (क्यूआईबी) और 15 फीसदी नॉन-इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (एनआईआई) के लिए आरक्षित है. पब्लिक इशू का 10 फीसदी हिस्सा खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित है. आईपीओ में 65 लाख इक्विटी शेयर्स कंपनी के कर्मियों के लिए आरक्षित किया गया है.
72-76 रुपये का प्राइस बैंड तय
जोमैटो के आईपीओ के लिए निवेशक 72-76 रुपये प्रति इक्विटी शेयर के प्राइस बैंड में बिड लगा सकेंगे. शेयरों की फेस वैल्यू 1 रुपये है. जानकारी के मुताबिक कम से कम 195 इक्विटी शेयरों के लिए बोली लगानी होगी और इसके बाद 195 के गुणक में बिड प्लेस कर सकेंगे. जोमैटो को आईपीओ के जरिए फंड जुटाने की बाजार नियामक सेबी से पिछले हफ्ते मंजूरी मिल चुकी है.
घाटे में चल रही है कंपनी
जोमैटो द्वारा फाइल किए गए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (आरएचपी) के मुताबिक आईपीओ से जो फंड जुटाया जाएगा, उसमें 6750 करोड़ रुपये से कंपनी के ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक ग्रोथ इनिशिएटिव्स की फंडिंग की जाएगी और शेष रकम को आम कॉरपोरेट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. वित्त वर्ष 2020 में जोमैटो को 2742 करोड़ रुपये की आय हुई थी. महामारी के दौरान कंपनी को 1367 करोड़ रुपये की आय हुई और अभी भी कंपनी जोमैटो घाटे में चल रही है. हाल ही में एक फंडरेजिंग के बाद जोमैटो का वैल्यूएशन 540 करोड़ डॉलर (40.4 हजार करोडड़ रुपये) आंकी गई. हाल ही में टाइगर ग्लोबल, फिडेलिटी और कोरा मैनेजमेंट समेत कुछ निवेशकों ने जोमैटो में 25 करोड़ डॉलर (1870 करोड़ रुपये) निवेश किया था.
देश का पहला महत्वपूर्ण इंटरनेट लिस्टिंग होगा जोमैटो
विदेशी ब्रोकरेज और रिसर्च फर्म जेफरीज ने इस साल 2021 की शुरुआत में कहा था कि जोमैटो का आईपीओ का आईपीओ भारत में पहला महत्वपूर्ण इंटरनेट लिस्टिंग होगा. जेफरीज के मुताबिक 80 फीसदी से अधिक रेवेन्यू के साथ कंपनी के लिए फूड डिलीवरी मजबूत आधार बना हुआ है, हालांकि अब इस फील्ड में कड़ी प्रतिस्पर्धा हो सकती है. ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक भारत में खाने की जितनी खपत होती है, वह भारत की तिमाही जीडीपी के बराबर है और इसमें से 10 फीसदी सिर्फ फूड सर्विसेज पर खर्च होता है. यह अमेरिका और चीन में खर्च के मुकाबले 50 फीसदी अधिक है. जेफरीज के मुताबिक भारत में फूड डिलीवरी में सिर्फ दो ही कंपनियों, जोमैटो और स्विगी का कब्जा है लेकिन इसमें जल्द ही प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।