बिलासपुर।अपनी सेवा अवधि का लंबा कार्यकाल शासन अनुसार करने उपरांत 55 वर्ष की उम्र में भी अनुसूचित अथवा बीहड़ नक्सल प्रभावित क्षेत्र स्थानांतरण करने पर हाइकोर्ट ने स्थगन आदेश पारित कर स्थानांतरण नीति के तहत् याचिकाकर्ता के मामले का निराकरण कर न्यायोचित आदेश पारित करने का आदेश दिया।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में क्षीरपानी, कबीरधाम निवासी मढ़ेश्वर प्रसाद जो कि कार्यपालन अभियन्ता के पद पर लोक निर्माण विभाग, कबीरघाम में पदस्थ थे। 07 अक्टूबर 2020 को सचिव, लोक निर्माण विभाग, रायपुर द्वारा एक आदेश जारी कर उनका स्थानांतरण जिला कवर्धा से नक्सल प्रभावित क्षेत्र जिला-बीजापुर कर दिया गया। उक्त स्थानांतरण आदेश से क्षुब्ध होकर मढ़ेश्वर प्रसाद द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन विभाग, रायपुर द्वारा वर्ष 2015 में जारी स्थानांतरण नीति के पैरा 1.5 के तहत् कोई शासकीय अधिकारी/कर्मचारी जो 55 वर्ष की उम्र पूरी कर चुका है उस अधिकारी / कर्मचारी का अनुसूचित/नक्सली जिले में स्थानांतरण ना कर उसका स्थानांतरण गैर अनुसूचित/मैदानी जिले में किया जाएगा, परन्तु याचिकाकर्ता के मामले में उक्त वर्णित स्थानांतरण नीति के पैरा 15 का घोर उल्लंघन करते हुए याचिकाकर्ता स्थानांतरण घोर अनुसूचित/नक्सली का जिला-बीजापुर में स्थानांतरण कर दिया गया जो कि स्थानांतरण नीति का घोर उल्लंघन है। उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् याचिकाकत्ता के विरूद्ध जारी स्थानांतरण आदेश पर स्थगन प्रदान करते हुए याचिकाकर्ता को यह निर्देशित किया गया कि वे वरिष्ठ सचिवों की समिती (स्थानांतरण मामले ) के समक्ष अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत करें एवं उक्त समिती स्थानांतरण नीति के तहत् याचिकाकर्ता के मामले का निराकरण कर न्यायोचित आदेश पारित करें।