नई दिल्ली, 02 फरवरी 2021
फ्रीलांस पत्रकार मनदीप पूनिया को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी है। 30 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने मनदीप पूनिया को सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने जिस वक्त मनदीप पूनिया को गिरफ्तार किया था, उस वक्त वे सिंघु बॉर्डर पर किसानों के विरोध में दिल्ली पुलिस की सरपरस्ती में किसानों पर पथराव कर रहे लोगों को अपने कैमरे में कैद कर रहे थे। बाद में मनदीप ने ये वीडियो और फोटो अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अपने न्यूज़ पोर्टल पर डाल दिये थे। मनदीप ने बताया था कि सिंघु बॉर्डर पर स्थानीय निवासी बनकर किसानों पर पथराव करने वाले लोग भाजपा के लोग थे। जिनमें एक भाजपा की पार्षद का पति था जबकि दूसरा भाजपा का विधायक था।
मनदीप ने अपनी रिपोर्टिंग में बताया था कि भाजपा नेताओं के द्वारा किसानों पर किये गये पथराव के दौरान दिल्ली पुलिस मूक दर्शक बनी रही औऱ पथराव करने वालों को सपोर्ट करती रही। मनदीप की इसी रिपोर्टिंग से खफा होकर दिल्ली पुलिस ने उन्हें रात में गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से पहले मनदीप ने सोशल मीडिया पर डाले अपने वीडियो में कहा था कि वो जल्द ही कुछ एक्सक्लूसिव वीडियो शेयर करने वाला है।
फ्रीलांस पत्रकार मनदीप पूनिया की गिरफ्तारी का दिल्ली प्रेस क्लब के साथ-साथ तमाम पत्रकार संगठनों ने विरोध किया था। दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर पत्रकारों ने धरना प्रदर्शन करके मनदीप पूनिया को रिहा करने की मांग की थी।
कारवां मैगजीन के लिए फ्रीलांस पत्रकार के तौर पर काम कर रहे मनदीप पर आरोप लगाया गया था कि उसने सिंघु बॉर्डर पर ड्यूटी के दौरान एक एसएचओ को गाली दी थी। इससे पहले रविवार को दिल्ली की एक अदालत ने उसकी जमानत याचिका को खारिज कर उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। मनदीप के साथ ही एक और पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था लेकिन अगले दिन उसे छोड़ दिया गया था।
किसान नेताओं ने किया था विरोध
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सोमवार शाम को सिंघु बॉर्डर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में मनदीप पूनिया का मामला उठाया था। किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा था कि पत्रकारों पर हमले किए जा रहे हैं, उन्हें गिरफ़्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि पंजाब से आंदोलन में शामिल होने के लिए आने वालों को परेशान किया जा रहा है और इसके विरोध में ही 6 फरवरी को तीन घंटे के लिए सड़कों को जाम करने का फ़ैसला किया गया है।
किसान नेता दर्शनपाल ने कहा था कि सरकार ने पूरे इलाक़े को छावनी बना दिया है और इंटरनेट भी बंद कर दिया है, इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार इस आंदोलन से घबरा गई है और वह पत्रकारों पर मुक़दमे दर्ज कर रही है। इसके अलावा गुंडों से हमले करवाना, इंटरनेट बंद करना जैसे कई काम सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा और इसे और मजबूती से लड़ा जाएगा।