मुंबई, 5 मार्च 2022
महाजन की याचिका में राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक की पीठ महाजन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा (एमएलए) रूल्स के नियम 6 और नियम 7 को बदलने के राज्य के फैसले को चुनौती दी गई थी. ये नियम सदन के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चुनाव से संबंधित हैं.
महाजन ने हाईकोर्ट बेंच से राज्य की अधिसूचना को रद्द करने का आग्रह किया
गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में जारी राज्य की अधिसूचना के अनुसार, राज्य ने ‘गुप्त मतदान’ प्रक्रिया को ‘वॉयस वोट’ से बदल दिया गया है. इसने डिप्टी स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया को भी हटा दिया है और अब एक को ‘चयन’ करने का फैसला किया है. इसके अलावा, राज्यपाल की शक्तियों को चुनाव की तारीख को अधिसूचित करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है और अब मुख्यमंत्री को इन शक्तियों के साथ अधिकार दिया गया है. वहीं इन संशोधनों को ‘मनमाना और भारत के संविधान का घोर उल्लंघन’ करार देते हुए, महाजन ने पीठ से राज्य की अधिसूचना को रद्द करने का आग्रह किया था.
हालांकि, पीठ ने कहा कि इस अधिसूचना के दिसंबर 2021 में जारी होने के बावजूद, महाजन ने वास्तविक चुनाव से केवल 10 दिन पहले उच्च न्यायालय का रुख किया. कोर्ट ने कहा कि, “आप (महाजन) एक मौजूदा विधायक हैं और 11वें घंटे में इस अदालत से संपर्क किया है, इतने महीनों में आप कहां थे?” प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “इससे आपकी प्रामाणिकता पर संदेह पैदा होता है, इसलिए हम उचित समझते हैं कि आप 10 लाख रुपये जमा करें.
उच्च न्यायालय में यह राजनीतिक लड़ाई क्यों- चीफ जस्टिस
चीफ जस्टिस दत्ता ने आगे कहा कि वर्तमान याचिका किसी भी जनहित से संबंधित नहीं है क्योंकि यह केवल राज्यपाल की शक्तियों और स्पीकर के चुनाव से संबंधित है. मुख्य न्यायाधिश दत्ता ने कहा, “यह न्यायालय आमतौर पर केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में या उन मामलों में जहां लोगों की जान जा रही है, राज्य के फैसलों में हस्तक्षेप करता है,” उच्च न्यायालय में यह राजनीतिक लड़ाई क्यों है?
याचिकाकर्ता के वकील ने दी थी ये दलील
वहीं सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यपाल की शक्तियों को मुख्यमंत्री को ‘स्थानांतरित’ करने का राज्य का निर्णय ‘असंवैधानिक’ था. इस पर चीफ जस्टिस दत्ता ने पूछा, ”क्या भारत के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान है जो बिना मंत्रिपरिषद की सलाह के मुख्यमंत्री को राज्यपाल को सलाह देने से रोकता है.” हालांकि, चंद्रचूड़ ने इस विशिष्ट प्रश्न का उत्तर देने के लिए कुछ समय मांगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हमें अपनी दूसरी विंग (सरकार) का सम्मान करने की जरूरत है. हम विधायिका के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।”