रायपुर,

इस खबर को आप पूरा पढ़ें उससे पहले छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी का ये वीडियो सुन लीजिये।

 

रायपुर के शंकर नगर स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन के प्रथम तल पर पत्रकारों को दिये गए शैलेष नितिन त्रिवेदी कह रहे हैं कि राजनांदगांव जिले में बिजली कटौती को लेकर सोशल मीडिया में वायरल किए गए एक वीडियो को लेकर जिस मांगेलाल अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया है और उस पर राजद्रोह की धारा 124 ए लगाई गई है। उससे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नाराज हैं। मुख्यमंत्री ने मांगेलाल अग्रवाल पर राजद्रोह की धारा लगाए जाने पर डीजीपी डीएम अवस्थी को फोन करके अपनी नाराजगी जताई है।

अब पूरा मामला पढ़िये।

दरअसल राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से प्रदेश में बिजली की आंख मिचौली का खेल ज्यादा ही शुरु हो गया है। बिजली कटौती की घटनाओं के बीच डोंगरगढ़ निवासी मांगेलाल अग्रवाल ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में इंवर्टर कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सेटिंग कर ली है। इसलिये बिजली कटौती करके ज्यादा से ज्यादा इंवर्टर बिकवाने की साजिश की जा रही है। मांगेलाल अग्रवाल का ये वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया में वायरल होते हुए रायपुर पहुंचा, सीएसईबी यानि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत बोर्ड के अफसर हरकत में आ गए। सीएसईबी की शिकायत पर राजनांदगाव पुलिस ने मांगेलाल अग्रवाल पर सरकार के खिलाफ दु्ष्प्रचार करने की धारा 505/1/2 के तहत पहला केस दर्ज किया और राजद्रोह की धारा 124 ए के तहत दूसरा केस दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया।

अब जानिये की राजद्रोह की धारा 124 ए का मतलब क्या है।

  • अगर कोई व्यक्ति सरकार विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है।
  • ऐसी किसी सामग्री का समर्थन करता है।
  • राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ-साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है।
  • अपने लिखित या फिर मौखिक शब्दों या फिर चिन्हों या फिर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर नफरत फैलाने या फिर असंतोष जाहिर करता है तो
  • उसे आजीवन कारावास या 3 साल जेल में कैद की सजा हो सकती है। 

सरकार के खिलाफ बातें करने और बिजली कटौती को लेकर सांठगांठ की साजिश होने की आशंका जताने के वीडियो पर शख्स की गिरफ्तारी होने की ये खबर जब मीडिया की सुर्खियां बनी तो आनन-फानन में राज्य सरकार डैमेज कंट्रोल में जुट गई। सरकार के रणनीतिकारों को लगा कि मात्र एक वीडियो के वायरल होने भर से अगर किसी को राजद्रोह की धारा में गिरफ्तार कर लिया गया तो जनता के बीच इसका विपरीत संदेश जाएगा।

अब सरकार के विधिक सलाहकार की राय जानिये-

सरकार के विधिक सलाहकार एनकेपी सिंह ने वीडियो वायरल करके सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने को राजद्रोह का मामला माना है। उनेक मुताबिक मांगेलाल ने वीडियो में सरकार और इंवर्टर कंपनियों के बीच सांठगांठ कर इंवर्टर की बिक्री बढ़ाने की साजिश रचने की बात कही है ऐसे में ये दुष्प्रचार के साथ-साथ राजद्रोह का भी मामला है।

मांगेलाल के समर्थन में आई भाजपा-

वीडियो वायरल करने वाले मांगेलाल अग्रवाल के समर्थन में भाजपा आगे आई है। भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अजय चन्द्राकर ने कहा है कि कांग्रेस सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए इसे दुष्प्रचार और राजद्रोह की तरफ धकेल रही है। अजय चन्द्राकर ने कहा कि सरकार ने बिजली कटौती होने पर पहले बिजली विभाग में कार्यरत कर्मचारियों और अफसरों को भाजपा का एजेंट करार दे दिया था, अब बिजली कटौती के खिलाफ आवाज उठाने पर लोगों का मुंह बंद कर देना चाहती है। भाजपा नेता ने इसे कांग्रेस का दूसरा आपातकाल करार दिया है।

बिजली कंपनी की सफाई-

सीएसईबी  के मुताबिक बिजली कटौती करके इंवर्टरों की बिक्री बढ़ाने जैसी बात भ्रामक प्रचार के सिवाय कुछ नहीं है। आंधी-तूफान या किसी अन्य कारणों से कभी-कभार बिजली सप्लाई बाधित हो जाती है। जिसे समय रहते वापस दुरस्त कर लिया जाता है।

गिरफ्तारी और राजद्रोह का केस दर्ज करने का हाईकोर्ट बार एसोसियेशन ने किया विरोध-

हाईकोर्ट बार एसोसियेशन ने सरकार के फैसले को अलोकतांत्रिक करार देते हुए गलत बताया है। एसोशियेशन के अध्यक्ष सीके केसरवानी ने कहा कि संविधान ने हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी दी है। अगर कोई सरकार की किसी योजना या निर्णय का विरोध करता है या उसमें किसी तरह की साजिश या षडयंत्र होने की आशंका जाहिर करता है तो ये राजद्रोह या दुष्प्रचार कैसे हो सकता है। संविधान में हर व्यक्ति को सोचने-समझने, बोलने, विचार व्यक्त करने की आजादी है, केसरवानी के मुताबिक लोगों को सरकार के इस फैसले का विरोध करना चाहिए।

क्या 25 जून 1975 का आपातकाल भूल गई है कांग्रेस ?

कांग्रेस के 134 साल के इतिहास पर 25 जून 1975 की मध्य रात्रि लगाया गया आपातकाल ऐसे बदनुमा दाग है, जो हर बार कांग्रेस नेताओं को इसकी याद दिलाता रहता है। 25 जून को देश में पहली बार मूल अधिकारों को खत्म करके मीडिया का मुंह बंद किया गया था और अब 13 जून 2019 में सिर्फ वीडियो वायरल करने और कुछ गलत बोल देने भर से किसी की गिरफ्तार ही नहीं बल्कि उस पर राजद्रोह का केस दर्ज करने जैसा कारनामा भी देश में पहली बार हुआ है।

राजद्रोह के केस पर क्यों नाराज हुए भूपेश बघेल ?

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डीजीपी को फोन करके राजद्रोह की धारा 124 ए में केस दर्ज करने पर नाराजगी जताई। जाहिर है मांगेलाल अग्रवाल से ये धारा हटा ली जाएगी। लेकिन ऐसा क्यों हुआ कि सरकार को अपने विधिक सलाहकार की सलाह के खिलाफ जाकर और सीएसईबी की ओर से लगाए गए आरोपों को ही पलटना पड़ रहा है।

क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश से डर गई कांग्रेस सरकार-

हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रशांत कनौजिया नाम के पत्रकार को सिर्फ इसीलिये गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था कि उसने एक महिला के वीडियो को योगी आदित्यनाथ से जोड़ते हुए  सोशल मीडिया पर ट्वीट कर दिया था। योगी आदित्यनाथ से जुड़े मुद्दे को नोएडा से संचालित एक समाचार चैनल के पत्रकार जब डिबेट शो कर रहे थे तो चैनल की हेड इशिका सिंह, संपादक अऩुज शुक्ला और एंकर को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक और नागरिक स्वतंत्रता का हनन माना। प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी पर उत्तर प्रदेश से दिल्ली तक कांग्रेस नेता भाजपा सरकार को निशाने पर ले रहे थे, लेकिन छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस ने बोलने की आजादी छीनने की कोशिश की तो भाजपा आक्रामक हो उठी। ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगा कि कहीं जनता इसे उनके खिलाफ न ले ले, इसलिये क्या आनन-फानन में मुख्यमंत्री का आगे आकर राजद्रोह का केस दर्ज करने पर डीजीपी को फोन करके नाराजगी जताने सामने आना पड़ा।

निंदक नियरे राखिये…आंगन कुटी छवाय- बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।

 

 

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