नई दिल्ली, 28 सितंबर 2022
देश के अलग-अलग ठिकानों पर एक्शन के बाद केंद्र सरकार ने UAPA के तहत इस संगठन को गैरकानूनी घोषित कर दिया है. सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, PFI पर 5 साल का बैन लगाया गया है. PFI के अलावा उससे जुड़े अन्य 8 संगठनों पर भी बैन लगाया गया है. टेरर लिंक के आरोप में देश के कई राज्यों में PFI पर लगातार छापेमारी के बाद केंद्र सरकार ने यह एक्शन लिया है. गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है.
PFI जुड़े इन संगठनों पर भी प्रतिबंध
- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF)
- कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)
- ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)
- नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)
- नेशनल विमेन्स फ्रंट
- जूनियर फ्रंट
- एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
- रिहैब फाउंडेशन
टेरर लिंक के मिले सबूत
देशभर में पीएफआई से संबद्ध ठिकानों पर छापेमारी और करीब 100 से अधिक लोगों को उसकी कई गतिविधियों के लिए गिरफ्तार करने और कई दर्जन संपत्तियों को जब्त करने के कुछ दिन बाद केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार देर रात जारी एक अधिसूचना के अनुसार, पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता हैं और पीएफआई के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी संबंध हैं. जेएमबी और सिमी दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं.
सक्रिय आतंकवादी संगठनों में शामिल हैं कार्यकर्ता
नोटिफिकेशन में कहा गया कि पीएफआई के ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया’ (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों के भी कई मामले सामने आए हैं. इसमें दावा किया गया कि पीएफआई और उसके सहयोगी या मोर्चे देश में असुरक्षा की भावना फैलाने के लिए एक समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ाने के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे हैं. जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि पीएफआई के कुछ कार्यकर्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए हैं.
2006 में हुआ था गठन
न में कहा गया कि इन कारणों के चलते केंद्र सरकार का मानना है कि पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए उसे और उसके सहयोगियों या मोर्चों को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन घोषित करना जरूरी है. बता दें कि पीएफआई का गठन 2006 में किया गया था. इस संगठन का गठन केरल में किया गया था और इसका मुख्यालय दिल्ली में है. यह भारत में हाशिये पर मौजूद वर्गों के सशक्तिकरण के लिए नव सामाजिक आंदोलन चलाने का दावा करता है. हालांकि, कानून प्रवर्तन एजेंसी का दावा है कि पीएफआई कट्टर इस्लाम का प्रसार कर रहा है.