नई दिल्ली, 17 मार्च 2023
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि 1 अप्रैल से पहले आप कितनी भी राशि के प्रीमियम वाली लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं उस पर आपको टैक्स बेनिफिट मिलता रहेगा, लेकिन 1 अप्रैल 2023 के बाद 5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर आपको टैक्स छूट का फायदा नहीं मिल पाएगा। यानि पॉलिसी मैच्योर होने पर मिलने वाली राशि टैक्सेबल होगी। लेकिन पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाने पर नॉमिनी को मिलने वाली सम एश्योर्ड की राशि पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंतिम माह यानि मार्च के बचे हुए महीनों में भी अगर कोई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेकर अपने परिजनों का भविष्य सुरक्षित करता है तो उसे एक वित्तीय वर्ष का लाभ भी प्राप्त होगा यानि प्रीमियम भरने का एक साल कम हो जाएगा।
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लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में दर्जनों कंपनियां मैदान में हैं लेकिन इन कंपनियों के बीच टाटा ग्रुप की टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की निवेश पॉलिसी कई मायनों में अलग हैं। टाटा एआईए कंपनी की फॉर्च्यून गारंटी प्लस स्कीम में पॉलिसी धारक को 5 साल से 12 साल तक का प्रीमियम पेइंग टर्म चुनने की सुविधा मिलती है, साथ ही 20, 30 और 35 वर्ष तक सालाना अथवा मासिक गारंटीड इन्कम अथवा पेंशन भी दी जाती है। टाटा एआईए की फ़ॉर्च्यून गारंटी प्लस लाइफ इंश्योरेंस स्कीम में मिलने वाला लाइफ कवर की राशि भी अन्य कंपनियों के मुकाबले काफी अधिक नजर आती है। टाटा एआईए की फॉर्च्यून गारंटी प्लस स्कीम में 1 वर्ष के बच्चे से लेकर 60 साल के व्यक्ति का लाइफ इंश्योरेंस किये जाने की सुविधा है।
केन्द्रीय बजट 2023 में क्या कहा गया ?
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को बजट भाषण में कहा था कि ULIP को छोड़ दूसरी इंश्योरेंस पॉलिसीज जिनका प्रीमियम 5 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें 1 अप्रैल , 2023 से खरीदने पर टैक्स-फ्री मैच्योरिटी अमाउंट का बेनिफिट नहीं मिलेगा। सरकार दरअसल टैक्स का फायदा उठाने के लिए हाई वैल्यू पॉलिसीज में निवेश को हतोत्साहित करना चाहती है।
पॉलिसीधारक की मौत की स्थिति में लागू नहींहोगा नियम
आपको यह ध्यान में रखना जरूरी है कि पॉलिसीधारक की मौत की स्थिति में नया नियम लागू नहीं होगा। इसका मतलब है कि पॉलिसीधारक की मौत होने पर नॉमिनी को मिलने वाला अमाउंट (सम अश्योर्ड) पूरी तरह टैक्स-फ्री होगा। नया नियम सिर्फ 1 अप्रैल और इसके बाद जारी होने वाली पॉलिसीज पर ही लागू होगा। इससे पहले बेची गईं सभी पॉलिसीज नए नियम के दायरे में नहीं आएंगी।