दुर्ग,

छत्तीसगढ़ में हुए करोड़ों के नान घोटाले के राज से अभी पूरी तरह पर्दा उठा भी नहीं है कि पीडीएस के चावल की आड़ में गरीबों को बीमार करने और उनको मौत के मुुंह में पहुंचाने की साजिश रच दी गई। ये तो भला हो खाद्य विभाग का, जिसके अफसर रूटीन जांच के लिए छत्तीसगढ़ स्टेटवेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के गोदाम पहुंच गए और बांटने के लिए रखे गए चावल में कांच के मिले होने का खुलासा हो गया।

कांच में चावल और वो भी बारीक, सुनकर हैरान रह गये होंगे आप, लेकिन ये सच है, छत्तीसगढ़ स्टेटवेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के गोदाम में रखे पीडीएस के चावल में एक महीने से कांच के बारीक टुकड़े मिले हुए पड़े  थे। लेकिन गोदाम के प्रबंध संचालक ने इसकी जानकारी अपने अफसरों को देना तक मुनासिब नहीं समझा। कल्पना कीजिये कि अगर ये चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन की दुकानों पर बंटने के लिए पहुंच जाता, तो आधे छत्तीसगढ़ में मौत का तांडव मच जाता।

 

जो कोई भी इस कांच मिले चावल को खाता, उसका लीवर, किडनी, फेफड़ा और न जाने क्या-क्या सब फट जाता। पीडीएस के चावल में कांच के टुकड़े कैसे मिले इसकेलिए जांच कमेटी बना दी गई है। दुर्ग के कलेक्टर अंकित आनंद खुद इस मामले की जांच में शामिल हैं। लेकिन चावल में कांच आए कहां से, इस पर स्टेटवेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के प्रबंध संचालक जन्मेजय महोबे का अजीब तर्क है। महोबे के मुताबिक एक महीने पहले तेज हवा के कारण गोदाम के रोशनदान का कांच टूट कर गिर गया था, उसी कांच के टुकड़े गोदाम में रखे चावल में मिल गए। कांच मिले चावल को दूसरे चावल से अलग रखा गया था, लेकिन सवाल ये कि जब एक महीने पहले कांच टूटकर गिरा था, तो इसकी सूचना तत्काल क्यों नहीं दी गई और  कांच मिला चावल महीनेभर से गोदाम के भीतर किसलिये रखा गया था।

कहीं ऐसा तो नहीं कि कांच मिले चावल के पीछे कोई बड़ी राजनीतिक साजिश रची जा रही हो। गरीबों को बीमार बनाकर शांत पड़े राजनीतिक पारे को गर्माने की कोशिश की जा रही हो, सवाल कई हैं, लेकिन सच तो यह है कि खाद्य विभाग की मुस्तैदी से तमाम लोग मौत के मुंह में जाने से बच गए हैँ। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि कांच के टुकड़े एक दो नहीं बल्कि सौ-सौ किलो के 20 बोरों में भरे चावल में पाए गए हैं।

गोदाम प्रभारी की लापरवाही मिलने पर खाद्य नियंत्रक ने उसे नोटिस थमा दिया है। लेकिन खतरा अब भी उतना ही बना हुआ है। कांच मिला चावल बांटा नहीं जाएगा, ये तय हो चुका है, फिर अब ये चावल क्या खुले में फैंका जाएगा, अगर खुले में फेंका गया तो कांच मिला चावल खाकर क्या पशु बीमार नहीं होंगे, आखिर इस चावल का अब किया क्या जाएगा, इस सवाल का जवाब किसी भी अधिकारी के पास नहीं है, 20 बोरा चावल ऐसे बर्बाद हो जाएगा, ये पीडीएस सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े करता है , लेकिन इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है,

 

 

 

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