नई दिल्ली, 16 अगस्त 2023
मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3
इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया का उद्देश्य प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल दोनों को चंद्रमा के चारों ओर लगभग 100 किमी की गोलाकार कक्षा में स्थापित करना है. यह मील का पत्थर चंद्रयान -3 मिशन के अगले चरण में पहुंचने का प्रतीक है, जिसमें लैंडर को प्रणोदन मॉड्यूल से अलग करना शामिल है. जबकि प्रणोदन मॉड्यूल चंद्रमा के चारों ओर अपनी कक्षा जारी रखेगा, लैंडर एक ‘डीबूस्ट’ प्रक्रिया से गुजरेगा, जिसमें जटिल ब्रेकिंग युद्धाभ्यास की एक श्रृंखला शामिल होगी.
ये युद्धाभ्यास लैंडर को धीरे-धीरे धीमा करने और चंद्रमा की सतह पर नरम लैंडिंग के लिए सावधानीपूर्वक स्थिति में लाने के लिए डिजाइन किए गए हैं. बता दें कि इससे पहले यान की कक्षा सोमवार को घटाई गई थी. पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा चौथी बार बदली गई थी इससे पहले छह और नौ अगस्त को भी कक्षा बदली गई थी.
मालूम हो कि 23 अगस्त को यान के लैंडर-रोवर की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था और यह 5 अगस्त को सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया. इसके बाद, अंतरिक्ष यान के ऑर्बिट को 5, 6, 9 और 14 अगस्त को चार बार घटाया जा चुका है. चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर लैंड करते ही भारत लैंडर उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा. अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं. भारत ने साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत लैंडर को उतारने का प्रयास किया था. लेकिन आखिरी क्षणों में लैंडर से संपर्क टूट गया था और उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी.