रायपुर,

सामाजिक सरोकार और जनहित के मुद्दों से जुड़ी पत्रकारिता करने के चलते वेब रिपोर्टर की ख़बर पर छत्तीसगढ़ सरकार की नींद टूटी है। बीते ढ़ाई साल से छात्रवृत्ति पाने के लिए भटक रहीं नर्सिंग की आदिवासी छात्राओं की ख़बर वेब रिपोर्टर ने प्रमुखता के साथ अपने वेब न्यूज़ पोर्टल पर प्रकाशित की थी। जिसके बाद कांग्रेस सरकार हरकत में आई और मुख्यमंत्री के शुक्रवार की शाम दिल्ली से वापस लौटते ही सबसे पहले आदिवासी छात्राओं को छात्रवृत्ति देने के लिए 51.20 लाख रुपये की राशि स्वीकृत कर दी गई है।

बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने 22 छात्राओं के सेंकड ईयर और थर्ड ईयर जीएनएम नर्सिंग के लिए 35.20 लाख रुपये की राशि छात्रवृत्ति के लिए मंजूर की है। इसी तरह सरगुजा क्षेत्र विकास प्राधिकरण के सदस्य सचिव की ओर से 10 आदिवासी छात्राओं के लिए 16 लाख रुपये की राशि आवंटित कर दी गई है। ये छात्राएँ निजी नर्सिंग कॉलेजों में जीएनएम की पढ़ाई कर रही हैं।

छात्राओं ने वर्ष 2016 में यूरोपियन कमीशन के ईसीएसपीपी कार्यक्रम के तहत प्रदेश के बीएससी नर्सिंग एवं जीएनएम नर्सिंग कोर्सेज में दाखिला लिया था। लेकिन स्कॉलरशिप में घोटाला हो जाने पर तत्कालीन रमन सरकार ने छात्राओं को स्कॉलरशिप की राशि नहीं दी थी। तब से छात्राएं छात्रवृत्ति पाने के लिए यहां-वहां की ठोकरें खा रही थीं। इसी साल 1 मार्च को पीड़ित छात्राओं ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर अपनी समस्या से अवगत कराया था, लेकिन आश्वासन देकर भूपेश बघेल भूल गए। लेकिन जब वेब रिपोर्टर ने छात्राओं की समस्या और उनकी वेदना को प्रमुखता से उठाया तो सरकार हरकत में आई। आनन-फानन में आदिवासी छात्राओं के लिए स्कॉलरशिप की राशि जारी कर दी गई है। स्कॉलरशिप की राशि नहीं मिलने की वजह से कई छात्राओं के परिजनों को फीस चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ा था, तो कई माता-पिता को अपनी जमीन और गहने गिरवी रखने पड़े थे।

नर्सिंग की आदिवासी छात्राओं ने छात्रवृत्ति नहीं मिलने पर 24 जून को जयस्तंभ चौक से मुख्यमंत्री आवास तक रेंगकर जाने का फैसला किया था, सीपीएम का समर्थन  भी इन छात्राओं को मिला हुआ था। राशि आवंटित होने के बाद छात्राओं ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद अदा किया है, वहीं सीपीएम की ओर से भी सरकार के इस कदम की सराहना की गई है।

 

 

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