दंतेवाड़ा

फागुन मेला के पांचवे दिवस में लम्हा मार रस्म का संपादन किया गया। जिसमें खरगोश के शिकार का प्रदर्शन किया जाता है। इसमें डोली वापसी के बाद साड़ी से ढकी हुई चांवल एवं चंदन की लकड़ी को दो टोकरी में भण्डारी एवं तुड़पा (सेवादार) लेकर रात्रि 11 बजे मोहरी बाजा की थाप पर बारह लंकवार, पडि़हार, मांझी-चालकी एवं सेवादार मेंढ़का डोबरा मैदान के देव विश्राम मंदिर में जाते है।

इसके बाद बारह लंकवार में से ग्राम डेगलरास के गायता परिवार द्वारा पाण्डव मंदिर में रात्रि के 1 बजे लम्हामार रस्म हेतु गायता परिवार के सदस्य को लम्हा (खरगोश) के रूप में तैयार किया जाता है। जिसे लेकर मेंढ़का डोबरा मैदान के देव विश्राम मंदिर में पहुंचते है। जहाँ ग्राम नेटापुर का राजबड्डे एवं ग्राम कतियाररास का हेमला बड्डे द्वारा शिकार प्रदर्शन किया जाता है और लम्हा का शिकार किया जाता है। जिसके बाद सभी सदस्य माई जी मंदिर आते हैं एवं पुनः लम्हामार आखेट रस्म का प्रदर्शन किया जाता है। जिसके बाद आज का कार्यक्रम समापन किया जाता है। इसके साथ ही कल कोडरीमार का कार्यक्रम का रस्म होगा।

0Shares
editor@webreporter.co.in'

By Editor