बिहार
पिछले कुछ समय से विभिन्न सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों और एजेंसियों द्वारा मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने को लेकर लगातार चिंताएं जताई जाती रही हैं। अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से समझते हुए, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) बार-बार यह स्पष्ट करता रहा है कि वह केवल असली और पात्र नागरिकों के नाम ही मतदाता सूची में शामिल करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। पूरे देश में हर साल और चुनाव/उपचुनाव से पहले आयोग मतदाता सूची का नियमित संशोधन एवं अद्यतिकरण करता है।
इस संबंध में भारत का संविधान और कानून भी पूरी तरह स्पष्ट और मजबूत हैं। मतदाता के रूप में नाम दर्ज कराने की पात्रता और अपात्रता से जुड़े प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 326 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 में दिए गए हैं। मतदाता सूची को लगातार अपडेट करने की ज़रूरत कई कारणों से होती है, जैसे:
1. मतदाताओं का स्थान बदलना: देश में लोग शादी, नौकरी, पढ़ाई या पारिवारिक कारणों से लगातार एक राज्य, ज़िले या क्षेत्र से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में आयोग को मिले फॉर्म्स के अनुसार 46.26 लाख लोगों ने अपना निवास बदला, 2.32 करोड़ लोगों ने अपने विवरण में सुधार के लिए आवेदन किया और 33.16 लाख ने पहचान पत्र बदलवाने का अनुरोध किया। इस तरह एक ही साल में देशभर में करीब 3.15 करोड़ बदलाव करने पड़े।
2. मृत मतदाताओं के नाम हटाना: आमतौर पर मृतकों के नाम सूची से हटवाने के लिए उनके परिवारजन आयोग से संपर्क नहीं करते, जिससे सूची में मृत लोगों के नाम बने रह जाते हैं।
3. 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए युवाओं के नाम जोड़ना:हर साल बड़ी संख्या में युवा 18 साल के होते हैं और उन्हें मतदाता सूची में शामिल करना आवश्यक होता है।
4. मतदाता विवरण में सुधार: नाम, फोटो, पता आदि में सुधार के लिए भी लोग आवेदन करते हैं, जिससे सूची को अद्यतन करना जरूरी होता है।
5. मतदान केंद्रों का पुनर्गठन कई कारणों से किया जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि चुनाव आयोग ने अब प्रत्येक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाताओं की सीमा तय कर दी है, जो पहले 1500 थी। इसके साथ ही आयोग यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी मतदाता अपने मतदान के लिए 2 किलोमीटर से ज्यादा दूर न जाए।
6. विदेशी अवैध नागरिकों की पहचान और उनके नामों को हटाना: अगर मतदाता सूची में किसी विदेशी अवैध नागरिक का नाम दर्ज पाया जाता है, तो उसे चिन्हित कर हटाया जाता है।
पूरी मतदाता सूची अपडेट करने की प्रक्रिया चुनाव आयोग के कानूनों, नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार पारदर्शिता से की जाती है। राजनीतिक दलों को इसमें आपत्ति, दावा और अपील करने का पूरा मौका दिया जाता है। इसके बावजूद, कई बार चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में मनमाने ढंग से छेड़छाड़ के आरोप लगाए जाते हैं, जबकि यह कार्य पूरी पारदर्शिता और राजनीतिक दलों की निगरानी में होता है। इसीलिए, मतदाता सूची को पूरी तरह सही और दोषरहित बनाने के लिए चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव से पहले घर-घर जाकर गहन जांच की योजना बना रहा है। इस तरह की गहन जांच पहले भी की जा चुकी है, पिछली बार यह कार्य वर्ष 2004 में किया गया था।