लखनऊ [बृजेश दुबे]। इमामबाड़े की भूल भुलैया हो या फिर राजनीति की, जनता जनार्दन गलियां नाप चुकी हैं। सियासी दीवारों पर राजनीतिक जुगलबंदी की छाप से वह यह जान रही है, ये निशान उसे कहां तक ले जा रहे, इसीलिए अब वह इस भूलभुलैया में फंसने को तैयार नहीं दिखती। 74 वर्षीय किसान राधेश्याम मिश्र हों, 52 वर्षीय परिचालक विजय मिश्र हों या सीतापुर निवासी 21 वर्षीय छात्र शिवम वर्मा… ये सब इसी जमात में शामिल हैं। दलों के घोषणापत्र हो या अन्य दलों के वादे और दावे, जनता की निगाह सब पर है।
शहर समझने की शुरुआत अशोक मार्ग से की तो लगा ही नहीं कि देश की राजनीति की दिशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश की राजधानी में हूं। बतकही में तो चर्चा घर और बाहर की शुरू हो गई है लेकिन, अड्डेबाजी से बाहर लखनऊ की गलियों में सन्नाटा ही दिखता है। थोड़ी बहुत गरमाहट सत्ता के गलियारों में जरूर है चूंकि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां से नामांकन कराया तो सपा-बसपा गठबंधन ने भाजपा के अखाड़े को छोड़ चुके शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को उनके मुकाबले खड़ा कर दिया है। वहीं ध्रुवीकरण रोकने के लिए कांग्रेस ने प्रमोद कृष्णम को टिकट दिया। इससे ठंडे होते मौसम में चुनावी पारा थोड़ा चढ़ा है।
निवेश नहीं तो रोजगार कैसे आएगा
भोपाल हाउस आया, शर्मा जी की चाय की दुकान पर मध्यम भीड़ है। एक टेबल पर खादी और काले कोट की जुगलबंदी है, बात करने की कोशिश करता हूं लेकिन, वह अपने में मगन हैं। ठीक सामने फुटपाथ पार, एक टेबल और पार्क है। यहां चार-पांच युवक, मोटरसाइकिल की टेक लेकर बतकही में मशगूल हैं। टेबल पर चाय रखकर इनकी बातों में सेंध लगाता हूं और धीरे से बातचीत में शामिल हो जाता हूं। इनमें एक हैं, आइटी चौराहा निवासी मोहम्मद ताहिर। गोरखपुर से यहां आकर रीयल एस्टेट का कारोबार कर रहे हैं।
राजधानी में इतना सन्नाटा, वह कहते हैं, लाजिम हैं क्योंकि, फुरसत किसे। दल, वादे, घोषणापत्र… सब एक जैसे, किस पर यकीं करें। कांग्रेस पर, जो कह रही धारा 370 लगी रहने देंगे। उन्हें कौन समझाए, कश्मीर की समस्या यही है। अरे, निवेश नहीं होगा तो रोजगार कहां से आएगा। अलीगंज के अंकित टोकते हैं, दरअसल हम मिसगाइडिंग सोशल मीडिया से गाइड हो रहे हैं। वादे टूटे तो विश्वास भी। क्यों देखें, घोषणापत्र? आलमबाग के दुर्गेश तिवारी कहते हैं, सब तो जाति देख रहे हैं। आलमबाग के ही स्वराज भी यही कहते हैं।
Courtesy : Dainik Jagran