बेमेतरा, 4 जून 2020

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण महिलाएं अपने घर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं। इसी बात को सही साबित करते हुए एक बार फिर बेमेतरा के साजा विकासखंड के टिपनी ग्राम पंचायत की महिलाओं ने करिश्मा कर दिखाया है।

टिपनी ग्राम पंचायत की महिलाओं ने अपने दम पर जैविक खाद बनाकर न सिर्फ खेतों का जहरीलापन खत्म कर दिया बल्कि अपनी और अपने घर की माली हालत भी दुरस्त कर ली। टिपनी ग्राम पंचायत की जय महामाया स्व सहायता समूह की 12 महिलाओं ने  राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के तहत पहले प्रशिक्षण प्राप्त किया और फिर 14 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर पहली बार 24 हजार रुपये की कमाई की। पहली ही बार में 24 हजार की कमाई देखकर महिलाओं का आत्मविश्वास इतना बढ़ा कि अब ये महिलाएं खुद वर्मी कम्पोस्ट खाद तो बना ही रही हैं, बल्कि आस-पास के ग्रामीणों को भी कम्पोस्ट खाद बनाने की ट्रेनिंग दे रही हैं।  महिलाओं के इस समूह ने 7 महीने पहले ही जैविक खाद बनाने की शुरुआत की थी। वर्मी कम्पोस्ट 10 रूपये प्रति किलो की दर से आसानी से बिक जा रहा है।

महिलाओं ने बताया कि खाद निर्माण में प्रति किलो 4 रुपए का व्यय होता है जबकि बिक्री प्रति किलो रुपए 8 से 10 रुपए की दर से होती है इससे प्रति किलो 4 से 6 रुपए का लाभ प्राप्त हो जाता है। समूह की महिलाओं ने बताया कि किसानो द्वारा बोये गये फसलों के लिए प्राकृतिक खाद काफी लाभदायक साबित हो रहा है। वर्मी कम्पोस्ट खाद रासायनिक खाद की अपेक्षा भूमि के लिए ज्यादा उपयोगी है। इससे पर्यावरण के साथ भूमि को कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि इसके भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और फसल की पैदावार भी अच्छी होती है। जैविक खाद बनाने वाली महिलाओं के इस समूह की अध्यक्ष इन्द्ररानी देवांगन हैं। जबकि क्रांती साहू आदि इसकी सदस्य हैं।  कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए टैंक बनाकर उसमें सूखी पत्तियों को सड़ाया जाता है,साथ ही खली, नीम के पत्ते,अनाज का भूसा और गोबर का उपयोग भी किया जाता है। मिश्रण में निर्धारित मात्रा में डाले गये केचुए इसे खाद में परिवर्तित कर देते हैं।  इसमें एक से डेढ माह का समय लगता है।

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