संपादकीय, 20 जून 2020
“योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवनशैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है, तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।”
27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में योग को लेकर ये बातें कही थीं। जिसके बाद 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्य राष्ट्रों ने प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
21 जून 2015 को पहली बार दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। 21 जून को ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चुने जाने के पीछे की वजह ये है कि 21 जून का दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और योग से मनुष्य को दीर्घायु प्राप्त होती है।
योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाने और उसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित करवाने में पतंजलि ट्रस्ट के स्वामी रामदेव, आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर, मोक्षायतन अन्तर्राष्ट्रीय योगाश्रम के भारत भूषण, आदि चुन चुन गिरि मठ के स्वामी बाल गंगाधरनाथ; स्वामी पर्मात्मानंद, हिंदू धर्म आचार्य सभा के महासचिव; बीकेएस अयंगर, राममणि आयंगर मेमोरियल योग संस्थान, पुणे; विवेकानंद योग विश्वविद्यालय के डॉ. नागेन्द्र, जगत गुरु अमृत सूर्यानंद महाराज, पुर्तगाली योग परिसंघ के अध्यक्ष; अवधूत गुरु दिलीपजी महाराज, विश्व योग समुदाय, सुबोध तिवारी, कैवल्यधाम योग संस्थान के अध्यक्ष; डॉ. डी. आर कार्तिकेयन, श्री अरबिंदों आश्रम के डॉ. रमेश बिजलानी जैसी विभूतियों का अहम योगदान रहा है।
भारतीय योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि “किसी भी दर्शन, धर्म या संस्कृति के लिए राज्य के संरक्षण के बिना जीवित रहना बहुत मुश्किल है। योग लगभग एक अनाथ की तरह अब तक अस्तित्व में था। अब संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक मान्यता योग के लाभ को विश्वभर में फैलाएगी।”
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय 21 जून को योग दिवस मनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां करता है। पिछले साल तक आयुष मंत्रालय की ओर से योग दिवस को लेकर कई तरह के दिशा निर्देश जारी किये जाते रहे हैं। कई जगह योग करके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज कराया गया है। लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस संकट के चलते सामूहिक योग किये जाने पर पाबंदी रहेगी। लोगों को अपने घरों में रहकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए योग करने का हिदायत दी गई है।
स्कूल-कॉलेज और सरकारी संस्थानों में होने वाले योग के आयोजनों को इस वर्ष टाला गया है। इस वर्ष 21 जून को योग दिवस पर वर्चुअल तरीके से योग करके लोग एक दूसरे से जुड़ पाएंगे।