नई दिल्ली, 14 अगस्त 2020

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Transparent Taxation प्लेटफार्म लॉन्च किया है. इसके साथ ही टैक्सेक्शन का दायरा बढ़ाने के लिए फेसलेस असेसमेंट और रिटर्न दाखिले में सरलता लाने जैसे कई और टैक्स सुधारों का भी ऐलान किया गया. टैक्स व्यवस्था में सुधार, सरलता और पारदर्शिता लाने के अपने प्रयास के तहत सरकार ने टैक्स डिस्क्लोजर के लिए तमाम तरह के लेनदेन की थ्रेसहोल्ड (न्यूतम सीमा) घटाने का भी फैसला लिया है. ऐसे करने का लक्ष्य टैक्स आधार को बढ़ाना और इसकी चोरी रोकना है. अब अगर आप कोई व्हाइट गुड खरीदते हैं, प्रॉपर्टी टैक्स चुकाते हैं, मेडिकल या लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम और होटल बिल का भुगतान करते हैं तो बिलर को इसकी सूचना सरकार को देनी होगी और आपके ये सारे खर्चे Form 26AS में दर्ज मिलेंगे.

इससे क्या होगा –

सरकार ने ब्लैकमनी को बाहर निकालने के लिए नए कानून बनाए हैं और कुछ खास तरह के लेनेदेन और खऱीद-बिक्री की जानकारी देना अनिवार्य कर रही है. सरकार आंकड़ों पर ज्यादा निर्भर करके जांच के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या कम करने की कोशिश कर रही है और डाटा एनालिटिक्स पर ज्यादा निर्भर करके ये संदेश दे रही है कि करदाता को परेशान नहीं किया जाएगा.

अभी ये देखना बाकी है कि ये प्रावधान लागू कैसे होंगे और क्या इससे व्यक्तिगत करदाता का कम्प्लायंस बोझ बढ़ तो नहीं जाएगा. लेकिन जून 2020 से करदाताओं को इस तरह की तमाम नोटिसें मिल रहीं हैं जिसमें कहा गया है कि इस बात की पुष्टि करें कि उन्होंने कुछ खास हाई वैल्यू वाले लेनदेन किए हैं कि नहीं.

आप ऑनलाइन जा कर इसकी पुष्टि कर सकते हैं. अगर आप इस बात से इनकार करते हैं कि आपने इनमें से कोई लेनदेन किया तो टैक्स विभाग उसको सूचना देने वाली कंपनी से क्रॉस वेरीफाइ करेगा. इस स्थित में अगर आपका दावा गलत पाया जाता है तो आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में बदलाव करना होगा.
सरकार को देनी होगी इन चीज़ों की जानकारी-

अगली बार जब आप 20 हजार रुपये से ज्यादा के इश्योरेंस प्रीमियम या होटल बिल का भुगतान करें या फिर जीवन बीमा पर 50,000 रुपये से ज्यादा का खर्च करें तो इसकी जानकारी सरकार को देनी होगी.

1 लाख रुपए से ज्यादा का स्कूल फीस भरें या फिर कोई व्हाइट गुड, ज्वेलरी, मार्बल या पेंटिंग की खऱीद करें तो इस बात को ध्यान में रखें की इन चीजों के लिए आपने जिसको भुगतान किया है उसको इन मदों में हुए लेन-देन की जानकारी सरकार को देनी होगी.

यहां तक की 20000 और 1 लाख रुपए से ज्यादा होने पर प्राॉपर्टी टैक्स और बिजली के बिल के भुगतान की जानकारी भी सरकार को भेजी जाएगी.

इनमें से कुछ बातों की घोषण 1 फरवरी 2020 को पेश बजट में पहले ही की गई थी. लेकिन अब इसके औपचारिक कार्यान्वयन की घोषणा कर दी गई है.बैंकों में कैश डिपॉजिट की लिमिट सेविंग अकाउंट के लिए 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख और करंट अकाउंट के लिए 50 लाख कर दी गई है. लेकिन अगर आप 30 लाख रुपये से ज्यादा का बैंकिंग लेनदेन करते हैं तो आपको टैक्स रिटर्न दाखिल करना होगा, चाहे आपके इस लेनदेन की सूचना कर विभाग को भेजी गई हो या न भेजी गई हो.

अभी क्या है नियम-

  मौजूदा समय में 30 लाख रुपये से ज्यादा की संपत्ति खऱीद, शेयरों में किया गया 10 लाख रुपये का निवेश, म्यूचुअल फंड, डीमैट, क्रेडिट कार्ड और फिक्स डिपॉजिट के जरिए किये गये 10 लाख रुपए से ज्यादा के लेन-देन की सूचना देनी होती है.

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