जवाब नहीं तो प्रमाणपत्र रद्द
मुंगेली। ऋचा रुपाली जोगी पिता प्रवीण राज साधु, निवासी पेंड्रीडीह, तहसील जरहागांव जिला मुंगेली के नाम से अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र 17 जुलाई को जरहागांव तहसीलदार चित्रकांच चाली ठाकुर द्वारा जारी किया गया है। आदिवासी नेता संतकुमार नेताम ने मुंगेली कलेक्टर व जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के अध्यक्ष के समक्ष इस प्रमाणपत्र की वैधता को चुनौती दी है। श्री नेताम द्वारा 28 सितंबर को की गई इस शिकायत में विभिन्न मुद्दों पर आपत्ति की गई है। वहीं जिला स्तरीय सत्यापन समिति ने ऋचा को 8 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा है। जवाब न देने पर प्रमाणपत्र रद्द माना जाएगा। इधर, कलेक्टर ने कहा- जल्द फैसला लेंगे। श्री नेताम द्वारा की गई शिकायत में कहा गया है कि जाति प्रमाणपत्र के लिए दिया गया आवेदन आनलाइन फार्मेट में है, इसमें आवेदक के हस्ताक्षर नहीं हैं। फोन नंबर और ईमेल आईडी भी किसी अन्य व्यक्ति का है। आवेदनपत्र के साथ संलग्न शपथपत्र में नाम ऋचा रुपाली साधु का है, जबकि हस्ताक्षर में आर जोगी लिखा हुआ है। शपथपत्र की कंडिका 2 में शपथकर्ता ने किन दस्तावेजों की नकल प्रस्तुत की है, इसका ब्यौरा नहीं है। आवेदन प्रारूप में दिया गया ऋचा जोगी का मोबाइल नंबर और मेल आईडी किसी गिरधर मानिकपुरी का है। जमानत राशि अधिक जमा की शिकायत में कहा गया है कि ऋचा जोगी अकलतरा विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी थीं, उन्होंने चुनाव लड़ते समय 27 अक्टूबर 2018 को दस हजार रुपए जमानत राशि जमा की, यदि वे आदिवासी होतीं तो उन्हें 5 हजार रुपए जमा करना होता, क्योंकि एससी, एसटी वर्ग के लिए जमानत राशि कम है। इससे यह सिद्ध होता है कि ऋचा रुपाली साधु उर्फ ऋचा जोगी आदिवासी वर्ग की नहीं हैं। अंत में शिकायतकर्ता श्री नेताम ने कहा है कि सभी विवरणों से स्पष्ट है कि ऋचा रुपाली साधु और ऋषभ सुशील साधु गोंड़ जाति की नहीं हैं। उन्होंने अपना जाति प्रमाणपत्र छलपूर्वक और अधिकारियों के त्रुटिवश प्राप्त किया है, अत: इसे रद्द किया जाए।
जमीन के लेनदेन में गैर आदिवासी
श्री नेताम की शिकायत में यह भी कहा गया है कि ऋचा रुपाली साधु और ऋषभ सुशील साधु द्वारा जमीन के लेनदेन में स्वयं को गैर आदिवासी घोषित किया गया है। कहा गया है कि 18 जून 2010 इन्होंने अपनी पैतृक जमीन ग्राम खाम्ही कुर्मी राजस्व निरीक्षक मंडल जरहागांव तहसील मुंगेली में कई व्यक्तियों को बेची, इन सभी जमीनों को बेचने के दस्तावेजों में ऋषभ सुशील साधु और ऋचा रुपाली साधु दोनों ने ही अपने आपको गैर आदिवासी घोषित किया है। ये दस्तावेज रजिस्ट्री कार्यालय में उपलब्ध हैं, इनकी जांच की जा सकती है। पटवारी जांच प्रतिवेदन रश्मि कांता के नाम से आवेदन पत्र के साथ संलग्न पटवारी जांच प्रतिवेदन श्रीमती रश्मि कांता नाम की आवेदक का है, जो 1 मई 2018 को पटवारी एमके पाण्डेय द्वारा जारी किया गया प्रतीत होता है। इस प्रतिवेदन में रश्मिकांता की जाति गोंड़ अंकित की गई है, परन्तु उनके निवास का पता ही नहीं दिया गया है। शिकायत में विभिन्न दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह प्रतीत होता है कि जांच प्रतिवेदन रश्मिकांता के लिए तैयार किया गया था, न कि ऋचा जोगी के लिए, ऋचा रुपाली साधु के लिए कोई भी पटवारी जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत ही नहीं किया गया, इसके बाद भी जाति प्रमाणपत्र जारी होना त्रुटि को दर्शाता है। इस संबंध में मेरे समक्ष शिकायत आई थी जिसे मैंने जिला स्तरीय सत्यापन समिति को भेजा है। समिति के अध्यक्ष एडिशनल कलेक्टर होते हैं, उनके स्तर पर इसकी जांच होगी और कार्रवाई होगी। सत्यापन समिति की जांच में स्पष्ट होगा कि प्रमाण पत्र सही है अथवा गलत। -पी एस एल्मा, कलेक्टर, मुंगेली आधार कार्ड नंबर नहीं शिकायत में कहा गया है कि प्रारूप 1 ( क ) के तहत भरा जाने वाला आवेदन अधूरा है, आवेदन में आधार कार्ड नंबर का कोई उल्लेख नहीं है। नोटरी मुंगेली के समक्ष भरे गए शपथपत्र में ऋचा रुपाली साधु ने स्वयं को गोंड़ अनुसूचित जनजाति बताते हुए पेंड्रीडीह जिला मुंगेली का स्थाई निवासी बताया है। हस्ताक्षर में लिखा आर जोगी अकलतरा चुनाव के वक्त भरे गए नामांकन शपथपत्र से अलग है। इसमें अलग हस्तलिपि में आर जोगी लिखा है।