जयपुर

राज्य में तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत बुधवार को जयपुर में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली लागू करने के उद्देश्य से स्थानीय निकाय, जयपुर तथा एसआरकेपीएस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई।

कार्यशाला में नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि युवाओं को नशे की ओर ले जाने वाली पहला लिंक- सुपारी और तंबाकू उत्पाद से दूर रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह केवल सरकार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है और इसके लिए हर स्तर पर सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। खर्रा ने निर्देश दिए कि कार्यशाला की सभी अनुशंसाएं लिखित रूप में उनके कार्यालय को प्रेषित की जाएं ताकि स्वायत्त शासन निदेशालय, विधि प्रकोष्ठ और शिक्षा विभाग से समन्वय कर समूचे राज्य के लिए एक सामान्य नियमावली तैयार की जा सके।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए स्थानीय निकाय, संभाग जयपुर के उपनिदेशक विनोद कुमार पुरोहित ने कहा कि तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंस अनिवार्य करने से कोटपा अधिनियम, 2003 के नियम 6 का प्रभावी क्रियान्वयन संभव होगा जिससे स्कूलों के आसपास बच्चों को तंबाकू उत्पादों की सहज उपलब्धता पर अंकुश लगेगा। उन्होंने बताया कि राज्य के 10 से अधिक स्थानीय निकायों में इस प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू किया गया है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। वाइटल स्ट्रैटेजीज़, नई दिल्ली से आए डॉ. राणा ने भारत के विभिन्न राज्यों में वेंडर लाइसेंसिंग नीति के क्रियान्वयन के अनुभवों को साझा किया।

राजस्थान कैंसर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि तंबाकू वेंडर लाइसेंसिंग की प्रभावी प्रणाली के माध्यम से राजस्थान में एक “तंबाकू-मुक्त पीढ़ी” की नींव रखी जा सकती है। कार्यशाला के प्रारंभ में एसआरकेपीएस के कार्यकारी निदेशक राजन चौधरी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का समापन एसआरकेपीएस की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर ज्योति चौधरी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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