मुंबई

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने नफरत के खिलाफ ‘एकता एक्सप्रेस’ के नाम से एक अखिल भारतीय अभियान – 6 दिसंबर, 2024 से 30 जनवरी, 2025 तक – चलाया था, जिसका उद्देश्य सांप्रदायिकता का मुकाबला करना और शैक्षणिक संस्थानों में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना है। इस राष्ट्रव्यापी अभियान के हिस्से के रूप में, ‘एकता एक्सप्रेस @मुंबई : शैक्षणिक परिसरों में लोकतंत्र और सद्भाव’ विषय पर एक छात्र सम्मेलन 18 जनवरी, 2025 को मुंबई, महाराष्ट्र में आयोजित किया गया था। सम्मेलन में शैक्षणिक परिसरों में लोकतंत्र और सद्भाव को बढ़ावा देने के सामूहिक प्रयास के रूप में छात्र, शिक्षाविद, कलाकार और पत्रकार एक साथ आए। इसका आयोजन स्टूडेंट्स फॉर डेमोक्रेसी नामक एक समूह द्वारा किया गया था, जो कि एसएफआई महाराष्ट्र राज्य समिति की पहलकदमी पर संगठित एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें राज्य के विभिन्न संस्थानों से संबद्ध विश्वविद्यालयीन छात्रों के समर्पित समूह शामिल हैं और जो धर्मनिरपेक्षता, सांस्कृतिक विविधता और छात्र अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

आईआईटी बॉम्बे, मुंबई विश्वविद्यालय, टाटा इंस्टिट्यूट फॉर सोशल साइंसेज (टीआईएसएस), सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालय संस्थानों से संबद्ध 300 से अधिक छात्र प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम ने देश भर में फैली सांप्रदायिकता, छात्रों पर दमन और शैक्षणिक परिसरों में लोकतंत्र के लिए मौजूद खतरों के खिलाफ छात्र समुदाय के शक्तिशाली रुख को अभिव्यक्त किया है। हाल ही में छात्रों पर हुए हमलों और टीआईएसएस और आईआईटी बॉम्बे जैसे संस्थानों में लोकतंत्र पर अंकुश लगाने को देखते हुए मुंबई को एक प्रतीकात्मक स्थल के रूप में चुना गया था। इस कार्यक्रम में छात्रों के खिलाफ बढ़ती अनुशासनात्मक कार्रवाईयों, छात्र संघ चुनावों की कमी और परिसरों में संघ परिवार की राजनीति के प्रभाव जैसे मुद्दों को भी संबोधित किया गया।

संवाद और एकता के लिए एक मंच

सम्मेलन में दो विषयों पर अर्थपूर्ण पैनल चर्चा हुईं। पहली चर्चा का शीर्षक था ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शैक्षणिक परिसरों में लोकतंत्र।’ इसका नेतृत्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफ़ेसर आर रामकुमार और डॉ नितीश नारायणन ने किया। वक्ताओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित मुद्दों के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा अपनी राय व्यक्त करने के लिए सामना किए जाने वाले खतरों पर प्रकाश डाला। प्रोफ़ेसर रामकुमार ने पाठ्यक्रम और पाठ्येतर दोनों ही जगहों पर भारतीय विश्वविद्यालयों के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक चरित्र की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया, इस बात पर ज़ोर दिया कि सामूहिक मुद्दों का सामूहिक रूप से विरोध किया जाना चाहिए। पैनल चर्चा एक पारस्परिक संवाद-सत्र के साथ समाप्त हुई, जहां छात्रों ने वक्ताओं के साथ सक्रिय रूप से बातचीत की और प्रो रामकुमार और डॉ नारायणन ने सैद्धांतिक व्याख्याओं को उदाहरणों के साथ समझाया।

दूसरे पैनल, ‘आर्टिस्ट्स फॉर हार्मोनी एंड बियॉन्ड’, की चर्चा में प्रसिद्ध संगीतकार और दलित कार्यकर्ता संभाजी भगत, दिप्सिता धर और सृजन भट्टाचार्य शामिल हुए। चर्चा सामाजिक चेतना को आकार देने में कला की भूमिका के इर्द-गिर्द घूमती रही, जिसमें वक्ताओं ने कला को एकता और सद्भाव को बढ़ावा देने के साधन के रूप में जन-जन तक ले जाने की वकालत की। पैनल ने संघ परिवार की राजनीति द्वारा कला की मुक्त अभिव्यक्ति पर बढ़ते हमलों पर भी बात की और विश्वविद्यालयों के भीतर कड़े प्रतिरोध का आह्वान किया। संभाजी भगत ने भारत में वर्तमान में लोकतंत्र के गिरते स्तर की आलोचना करने के लिए संगीत के एक शानदार प्रदर्शन का उपयोग किया।

एकता क्विज़, कला प्रदर्शनी और संगीत

सम्मेलन में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिसमें प्रतिरोध और एकता का जश्न मनाया गया। सफ़दर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट (सहमत) द्वारा कला प्रदर्शनी ‘बियॉन्ड डिस्प्यूट : लैंडस्केप्स ऑफ़ डिसेंट’ का उद्घाटन प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट उत्तम घोष ने किया, जिसमें असहमति और लोकतंत्र के शक्तिशाली दृश्य-आख्यान प्रस्तुत किए गए। प्रदर्शनी की सामग्री मूल रूप से 2018 में कलाकारों के एक समूह द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए सहमत के आह्वान पर संघ परिवार के सांप्रदायिक एजेंडे के प्रति एक कलात्मक प्रतिक्रिया के रूप में तैयार की गई थी।

‘एकता क्विज़’ नामक एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। क्विज़ में प्रगतिशील मूल्यों, मुंबई के लोगों के इतिहास और सामान्य रूप से सद्भाव के बारे में ज्ञान के आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित किया गया ; विजेताओं को नकद पुरस्कार और अन्य स्मृति चिन्ह दिए गए। संगीत सम्मेलन का मुख्य हिस्सा था, जिसमें लोक सांस्कृतिक मंच, मुंबई, जो अपने क्रांतिकारी और अंबेडकरवादी गीतों के लिए जाना जाता है, और गूंज, टीआईएसएस मुंबई के छात्र सांस्कृतिक समूह द्वारा गीत-संगीत का प्रदर्शन किया गया।

व्यापक आंदोलन की ओर एक कदम और छात्र एकता का आह्वान

समापन सत्र में छात्र नेता मयूख बिस्वास (अखिल भारतीय महासचिव, एसएफआई), वी पी सानू (अखिल भारतीय अध्यक्ष, एसएफआई) और आइशी घोष (पूर्व जेएनयूएसयू अध्यक्ष) ने सामूहिक रूप से भारतीय परिसरों में एकता और सद्भाव की अपील की। उन्होंने भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना की, जो छात्र अधिकारों को खतरे में डालती हैं और विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनावों और लोकतांत्रिक स्थानों की बहाली का आह्वान किया।

रोहिदास जाधव (राज्य सचिव, एसएफआई महाराष्ट्र) द्वारा परिचयात्मक टिप्पणी के साथ सम्मेलन की शुरूआत हुई और समापन रामदास प्रीनी शिवनंदन (केंद्रीय कार्यकारिणी समिति सदस्य, एसएफआई) की टिप्पणियों के साथ हुआ। दोनों ने पूरे महाराष्ट्र में संयुक्त मंच बनाने के महत्व को रेखांकित किया और व्यक्तियों और संगठनों को हिंदुत्व की राजनीति के खिलाफ प्रतिरोध और शैक्षणिक परिसरों में लोकतंत्र बचाने के आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्रों की भारी उपस्थिति की सराहना की और छात्र समुदाय को संगठित करने के साथ-साथ शैक्षणिक परिसरों में लोकतंत्र को मजबूत करने और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ इसी तरह की पहलकदमी जारी रखने का आह्वान किया।

एकता एक्सप्रेस @मुंबई सिर्फ़ एक दिन का आयोजन नहीं था, यह छात्रों द्वारा चुप रहने से इंकार करने की दृढ़ घोषणा थी। सम्मेलन की सफलता ने विभाजनकारी विचारधाराओं को चुनौती देने और लोकतंत्र, तर्कसंगतता और समावेशिता के केंद्रों के रूप में शैक्षणिक स्थानों को पुनः बहाल करने के लिए युवा दिमागों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इस सम्मेलन की सफलता मुंबई और महाराष्ट्र से कहीं आगे तक गूंजेगी।

0Shares
editor@webreporter.co.in'

By Editor