गाजियाबाद, 02 फरवरी 2021
दिल्ली में कृषि बिलों के विरोध में चल रहा आन्दोलन कुछ नेताओं के लिए राजनीति में तगड़ी पैठ बनाने और अपना वर्चस्व जमाने के भी मदद कर रहा है। साथ ही सभी नेता चाहते हैं कि उनकी छवि एक किसान नेता के रूप में विकसित हो। ताकि राजनीतिक जीवन में वह इस छवि का लाभ उठा सके। इस समय सूबे के दो नेता सुर्ख़ियों में है; पहले तो नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल, जो कि पहले एनडीए के सहयोगी थे लेकिन किसान आदोलन के चलते उन्होंने एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया था।
वहीं, दूसरा नाम है मदेरणा परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ रही कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा का…दो दिन पहले ही दिव्या ने गाजीपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान नेता राकेश टिकैत से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। उनकी इस मुलाकात ने प्रदेश की जाट बेल्ट में हलचल बढ़ा दी है।
बता दें कि, दिव्या इस समय ओसियां विधानसभा से कांग्रेस की विधायक हैं। वहीं, गाजीपुर बॉर्डर पर दिव्या व किसान नेता राकेश टिकैत की हुई मुलाकात ने सभी का ध्यान खींचा हैं। दिव्या के नजदीकी लोगों का कहना है कि यह सिर्फ टिकैत को सम्मान देने के लिए मुलाकात थी। दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि अब वे खुलकर किसानों के पक्ष में आने की तैयारी में हैं, क्योंकि राज्य में इस समय किसानों का नेतृत्व करने वाला कोई नहीं है।
ऐसे में दिव्या के लिए यह एक अवसर है कि वह खुद की छवि को एक किसान नेता के रूप में विकसित करें। दूसरी तरफ राजनीति के मैदान की बात करे तो राज्य में इस समय करीब 38 ऐसे विधायक है, जो जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
गौरतलब है कि, दिव्या के पिता भी दो बार विधायक व मंत्री रह चुके है। हालाँकि वे चर्चित भंवरी देवी मामले में जेल की सजा काट रहे हैं, लेकिन जाट समुदाय में उनके प्रति अभी भी सहानुभूति है। वहीं, दिव्या के दादा भी स्व. परसराम मदेरणा नौ बार विधायक रहे हैं और राजनीति के धुरंधर बताते हैं कि, प्रदेश की राजनीति में उनकी तूती बोला करती थी।