जयपुर, 27 मई 2020
दक्षिण अफ्रीका से निकले रेगिस्तान के शैतानों ने पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश कर राजस्थान के कई जिलों में भीषण तबाही मचाई है। अब इन टिड्डियों के निशाने पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है।पिंक सिटी जयपुर के आसमान में करोड़ों -अरबों की संख्या में मंडराये टिड्डियों के दल ने अब दिल्ली की ओर कूच किया है। अगर हवा की गति इनके अनुकूल रही तो दिल्ली पहुंचने में इन टिड्डियों को ज्यादा देर नहीं लगेगी।
जयपुर में टूटे टिड्डी दल ने किसानों की फसलों को बड़ा नुकसान किया है। जयपुर के ग्रीन जोन की हरियाली को ये टिड्डे चट कर गए हैं। टिड्डियों के दल ने राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश में अपना कहर बरपाया है। कीटविज्ञान विशेषज्ञों (Entomologists) का कहना है कि दिल्ली भले ही शहरी इलाका है लेकिन यहां भी टिड्डियों का गंभीर और व्यापक असर दिख सकता है। क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी का 22 प्रतिशत इलाका ग्रीन कवर में है। ये ग्रीन कवर टिड्डियों के लिए खुराक का काम करेंगे। LWO के डेप्युटी डायरेक्टर केएल गुर्जर ने सोमवार को बताया था, ‘अगर हवा की गति और दिशा अनुकूल रही तो अगले कुछ दिनों में टिड्डियों के दल दिल्ली की तरफ पहुंच जाएंगे। अभी हवा की गति उन्हें उत्तर दिशा की ओर कर रही है।’
एक छोटा दल एक दिन में 35000 लोगों के बराबर खाना चट कर सकता है
यमुना बायोडायर्वस्टी पार्क के कीटविज्ञानी मोहम्मद फैसल के मुताबिक, ‘दिल्ली के हरित इलाकों (ग्रीन एरिया) पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। एक वर्ग किलोमीटर में फैला टिड्डियों का एक छोटा सा दल भी एक दिन में करीब 35 हजार लोगों के खाने के बराबर हरियाली को चट कर सकता है।’
टिड्डियों की वजह से वॉटर सप्लाई और रेलवे लाइनें भी हो चुकी हैं प्रभावित
फैसल ने आगे कहा कि अतीत में इन टिड्डियों की वजह से वॉटर सप्लाई और रेलवे लाइनें भी प्रभावित हो चुकी हैं। उनके हमले के बाद रेलवे ट्रैकों पर चिकनाई और फिसलन बढ़ गई जिसके बाद उन्हें साफ करना पड़ा। उन्होंने बताया कि एक अकेली टिड्डी 500 तक अंडे देती है लिहाजा हमें न सिर्फ टिड्डियों के दलों को रोकना होगा बल्कि उनकी ब्रीडिंग को भी।
आम तौर पर जून से नवंबर तक दिखते हैं टिड्डे, इस बार मई में ही
आम तौर पर रेगिस्तानी टिड्डे जून से नवंबर तक पश्चिमी राजस्थान और गुजरात में दिखते हैं। लेकिन इस बार वे अप्रैल में ही दिखने लगे। तब केंद्रीय कृषि मंत्रालय के टिड्डी चेतावनी संगठन यानी लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गनाइजेशन (LWO) ने इनकी मौजूदगी के बारे में बताया था। जो चीज और ज्यादा चिंता बढ़ा रही है वह यह है कि आम तौर पर ये टिड्डियां या तो अकेले रहती हैं या फिर छोटे-छोटे समूहों में रहती है। इसका मतलब है कि इनका इस तरह विशाल झुंड में होना असामान्य है।