लखनऊ, 12 जून 2020

उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती का रास्ता साफ हो चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने लखनऊ बेंच की एकल पीठ के 3 जून के फैसले पर रोक लगा दी है। जिसके बाद योगी सरकार 69,000 पदों पर सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ा पाएगी। याचिकाकर्ताओं ने घोषित परीक्षा परिणाम में कुछ प्रश्नों की सत्यता पर सवाल उठाए थे जिसके बाद एकल पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश सुनाया था।

दो न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया
जस्टिस पीके जायसवाल एवं जस्टिस डीके सिंह की पीठ ने अपना फैसला पारित करते हुए कहा कि नौ जून के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में सरकार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र है। इनमें 37,000 पदों पर शिक्षा मित्रों की नियुक्ति होनी है। जबकि शेष पदों के लिए राज्य सरकार काउंसिलिग की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की एकल पीठ ने अपने 3 जून के फैसले में नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

एकल के पीठ के फैसले के खिलाफ तीन अर्जियां दाखिल

सहायक अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया संचालित करने वाले यूपी एग्जामिनेशन रेगुलेटरी अथारिटी ने हाई कोर्ट के तीन जून के फैसले को चुनोती देते हुए तीन अर्जिया दाखिल की थीं। गत तीन जून को जस्टिस आलोक माथुर ने 31 असफल अभ्यर्थियों की अर्जी पर सुनवाई करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाई थी। सरकार की तरफ से कहा गया कि कोर्ट ने सफल अभ्यर्थियों की बात सुने बैगर कोर्ट ने अपना आदेश पारित कर दिया।

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