नई दिल्ली, 30 मार्च 2021
दिल्ली सहित सभी राज्यों में 1 अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र (New Academic Session) शुरू होने जा रहा है, जिसके लिए नई गाइडलाइन (Guideline) तैयार की गई है ताकि कोरोना (Coronavirus) की स्थिति पर काबू पाया जा सके. दिल्ली सहित अधिकांश राज्यों में कक्षा 1-8 तक के स्टूडेंट्स नए सत्र की शुरुआत में स्कूल नहीं जा पाएंगे.
इन राज्यों ने लिया फैसला
दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच छोटी कक्षाओं के लिए स्कूल नहीं खोले जाएंगे. दिल्ली के अलावा पंजाब, पुडुचेरी, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों ने भी छोटी कक्षाओं के लिए स्कूल बंद रखने का फैसला किया है.
दिल्ली के इन स्कूलों ने भेजा स्पेशल सर्कुलर
पहले इन राज्यों में स्कूल खोल दिए गए थे, लेकिन वर्तमान समय में Covid-19 की परिस्थिति को देखते हुए इन्हें दोबारा बंद रखने का फैसला लिया गया है. दिल्ली में एयरफोर्स बाल भारती स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, ग्रीन फील्ड स्कूल, अर्वाचीन समेत अन्य सहित अन्य कई जाने-माने स्कूलों ने बच्चों के पेरेंट्स को स्पेशल सर्कुलर जारी किया है. इसके मुताबिक, अगले शैक्षणिक सत्र में बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन (Online Education) की जाएगी. दिल्ली सरकार सहित स्कूल मैनेजमेंट रेगुलर क्लासेज को फिर से शुरू करने के लिए समय-सीमा देने की स्थिति में फिलहाल नहीं हैं.
‘ऑनलाइन क्लासेज मजबूरी’
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं दिल्ली यूनिवर्सिटी एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य अशोक अग्रवाल ने कहा, कोरोना संक्रमण को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प मजबूरी है. लेकिन जहां संभव हो वहां छात्रों को स्कूल आने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए. एक अनुमान के मुताबिक स्कूल बंद रहने के कारण छात्रों के स्कूल ड्रॉपआउट दर में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यदि अभी भी स्कूल बंद रहे तो छात्रों का ड्रॉपआउट दर और अधिक बढ़ जाएगा.
अभिभावक परेशान
वहीं ऐसे अभिभावक भी परेशान हैं जो बीते वर्ष ट्रांसफर होकर एक राज्य से दूसरे राज्य में गए थे और बच्चों का स्कूल में एडमिशन नहीं करा सके. नैनीताल से दिल्ली आए पूरन चंद्र ने कहा, बीते वर्ष हम मार्च के दूसरे हफ्ते में नैनीताल से दिल्ली आए. मेरा बेटा मनीष तीसरी कक्षा में पड़ता है. लॉकडाउन के कारण मनीष को कहीं एडमिशन नहीं मिल सका. पूरे साल घर पर रहने के बाद अब उसे चौथी कक्षा में एडमिशन नहीं मिल पा रहा है. स्कूल न खुलने के कारण यह समस्या और अधिक गंभीर हो गई है. पूरन चंद्र जैसे ट्रांसफर होकर आए हजारों अभिभावकों एवं उनके बच्चों की यही स्थिति है.
अभिभावक संघ ने की ये मांग
उधर दिल्ली अभिभावक संघ का कहना है कि कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए स्कूल न खोलना सही निर्णय है, लेकिन यह निर्णय 9वीं और 11वीं कक्षा के छात्रों पर भी लागू होना चाहिए.
कई राज्यों में मार्च में खुले थे स्कूल
बता दें, साल 2020 के मार्च महीने में कोरोना महामारी के बाद से ही देश के सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया था. कई राज्यों में इसके बाद से बंद चले आ रहे स्कूल को दोबारा से मार्च में खोलने का फैसला लिया गया. कुछ राज्यों में 5वीं से ऊपर की क्लासेज शुरू की गईं. हालांकि यह भी नियम बनाया गया था कि स्कूल खुलने पर भी जो छात्र घर पर रहकर ही पढ़ाई करना चाहते हैं, वे स्कूल से इसके लिए अनुमति प्राप्त कर सकते हैं. स्कूलों को हिदायत दी गई थी कि बच्चों को जबरन स्कूल आने के लिए मजबूर न किया जाए लेकिन अब एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मामलों के देखते हुए राज्य सरकारें स्कूल न खोलने का फैसला ले रही हैं.