रायपुर, 2 मार्च 2023

मार्च का महीना शुरु होते ही स्कूलों में दाखिले की दौड़ शुरु हो चुकी है। अभिभावक अपने बच्चों को सबसे अच्छे और कम फीस लेने वाले स्कूल में दाखिला कराने के लिए दौड़-धूप शुरु कर चुके हैं। नौकरीपेशा अभिभावकों का ज्यादातर वक्त इंटरनेट पर स्कूलों की वेबसाइट खंगालने में गुजर रहा है । अभिभावक अपने बच्चों के लिेए बेहतर पढ़ाई कराने वाला और घर के करीब होने वाले स्कूल के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।

इस बीच कई अभिभावकों ने केन्द्रीय विद्यालयों में भी जाकर दाखिला की जानकारी लेना शुरु कर दिया है। लेकिन अभी तक केन्द्रीय विद्यालय संगठन की ओर से केवी स्कूलों में दाखिले का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। आमतौर पर फरवरी महीने में केवी स्कूलों में दाखिले का नोटिफिकेशन जारी हो जाता है जिसके बाद मार्च महीने के भीतर ही दाखिला प्रक्रिया पूरी करनी होती है।

गत वर्ष केन्द्रीय विद्यालयों में दाखिले में दखल देने वाले सांसदों के कोटा को समाप्त कर दिया गया है। जिसके बाद दाखिले में दखल का सारा अधिकार जिला कलेक्टर के पास आ गया है। लेकिन केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-2 रायपुर में स्कूल की वेबसाइट संभालने वाले अधिकारी-कर्मचारी नींद में सोये पड़े हैं। दाखिले का नया वर्ष शुरु हो जाने के बाद भी उनके द्वारा केवी-2 रायपुर की वेबसाइट को अपडेट नहीं किया गया है।

वेबरिपोर्टर ने जब केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-2 रायपुर की वेबसाइट का अवलोकन किया तो पाया कि स्कूल वालों के लिए आज भी चेयरमैन आईएएस एस. भारतीदासन ही बने हुए हैं। जबकि बीते साल जून माह में ही एस. भारतीदासन रायपुर जिला कलेक्टर पद से हटा दिये गये थे और उनके स्थान पर आईएएस सरवेश्रर नरेन्द्र भूरे को रायपुर जिला कलेक्टर बनाया गया था। पूरा सत्र गुजरने के बाद भी केवी क्रमांक-2 रायपुर की वेबसाइट पर रायपुर जिला कलेक्टर सरवेश्वर नरेन्द्र भूरे को चेयरमैन के रूप में नहीं दर्शाया गया है। जबकि भारतीदासन स्कूल शिक्षा विभाग में पदस्थ हैं और उनका केवी विद्यालयों से कोई सरोकार वर्तमान में नहीं हैं।

 

इस चूक पर जब वेबरिपोर्टर ने केवी क्रमांक-2 रायपुर के लैंडलाइन नंबर पर फोन किया और इस लापरवाही की ओर ध्यान आकर्षित किया तो फोन उठाने वाले सज्जन ने इसकी जवाबदेही संबंधित अधिकारी की होना बता दिया और फोन काट दिया।

ये भी गज़ब है कि हर राज्य में जिला कलेक्टर ही केवी स्कूलों का चेयरमैन होते हैं, लेकिन उनके द्वारा भी केवी स्कूलों का दौरा साल में कभी कभार ही किया जाता है। यानि कलेक्टर की अपनी व्यस्तता का फायदा केवी स्कूल के कर्मचारी वेबसाइट को अपडेट नहीं करने के रूप में उठाते हैं।

केन्द्रीय विद्यालयों में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लेकर अभिभावकों के बीच बेहद मारामारी रहती है, लेकिन खुशकिस्मत छात्रों को ही केवी स्कूलों में दाखिला मिल पाता है।

 

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