रायपुर,

इस वक्त की सबसे बड़ी ख़बर राजधानी रायपुर से आ रही है। जहां साइंस कॉलेज आवासीय परिसर में स्थित एक शासकीय क्वॉर्टर एसक्यू-4 के ऊपर भारी-भरकम पेड़ गिर गया है। पेड़ गिरने से शासकीय आवास पूरी तरह जमींदोज हो गया है, जबकि पेड़ गिरने से एक बच्ची का सिर फट गया है। बच्ची के सिर में कई टांके आए है। हादसे की सूचना मिलने पर साइंस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डीएन वर्मा, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी और अन्य लोग मौके पर पहुंचे हैं।

पेड़ गिरने से टूटे मकान के ऊपर से गिरे हुए पेड़ को हटाने के लिए पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी कटर से पेड़ काटने की कोशिश कर रहे हैं। मौके पर नगर निगम की एक क्रेन भी मंगाई गई है। जिस शासकीय आवास पर ये पेड़ गिरा है। उसका क्वार्टर नंबर एस क्यू-4 है और ये क्वार्टर  साइंस कॉलेज की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शशिकला के नाम पर आवंटित है।

पीड़ित के मुताबिक सुबह से लगातार हो रही बारिश की वजह से जमीन गीली हो गई और पेड़ वजनदार हो गया। पेड़ पहले से ही काफी झुका हुआ था, इसकी सूचना कई बार साइंस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डीएन वर्मा, नगर निगम के अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी और वन विभाग के अफसरों को दी गई थी, लेकिन किसी भी एजेंसी के कर्मचारियों ने पेड़ के झुके हुए हिस्से अथवा जानमाल के लिए खतरा बन चुके पेड़ को हटाने की जहमत नहीं उठाई। नतीजा आज बड़ा हादसा हो गया।

पीडब्ल्यूडी, वन विभाग मेंटेनेंस और सुरक्षा पर नहीं देता है ध्यान

साइंस कॉलेज आवासीय परिसर में स्थित शासकीय क्वार्टर अंग्रेजों के जमाने के बने हुए हैं। राज्य गठन से पहले यहां कलेक्टर और अति विशिष्ठ लोग रहा करते थे, लेकिन बाद में ये शासकीय क्वार्टर साइंस कॉलेज के कर्मचारी, सहायक प्राध्यापक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, पुलिस विभाग के कर्मचारी और जनपद पंचायत में कार्यरत एडिशनल सीईओ लेवल के अफसरों को अलॉट किये जाने लगे।

साइंस कॉलेज आवासीय परिसर में हमेशा बना रहता है पेड़ गिरने का खतरा

शासकीय क्वार्टरों में रहने वाले लोगों ने कई बार इन पेड़ों को हटाने, कटाने और छंटाने के लिए पीडब्ल्यूडी और वन विभाग के अफसरों से गुहार लगाई लेकिन किसी भी विभाग के अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। यानि दोनों ही विभाग किसी और बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।

आवेदन दबाकर बैठ गया वन विभाग

आवासीय परिसर में रहने वाली एक महिला सहायक प्राध्यापक ने बताया कि उन्होंने आवास से  सट कर खड़े और जानमाल के लिए खतरा बन चुके पेड़ों को कटवाने और छंटवाने के लिए वन विभाग से लेकर कलेक्टर तक आवेदन दिया। जिसके बाद पटवारी और वन विभाग के अफसरों ने मौके पर आकर मुआयना किया और पेड़ों को काटे जाने की अनुशंसा भी कर दी। लेकिन वन विभाग ने प्रति पेड़ काटने की एवज में 10 हजार रुपये की मांग की। लेकिन पेड़ कटाई का भुगतान और खर्चा कौन उठाएगा, ये डेढ़ साल बाद भी दोनों विभाग तय नहीं कर पाए हैँ।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के घर पर पेड़ गिरने से हुए हादसे ने सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं, कि आखिर वन विभाग और साइंस कॉलेज के प्राचार्य के अलावा पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की नींद क्या हादसा होने के बाद ही टूटेगी।

 

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