नई दिल्ली, 30 नवंबर
हम मोदी जी को लाने वाले हैं और अच्छे दिन आने वाले हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान इस गाने को मीडिया के हर प्लेटफॉर्म पर जमकर बजाया था। लेकिन अच्छे दिनों का इंतजार करते-करते बीएसएनएल के बाद एमटीएनएल के बुरे दिन आ गए हैँ।
बीते 3 महीनों से एमटीएनएल के 18 हजार कर्मचारी तनख्वाह पाने के लिए तरस गए हैँ। तनख्वाह के इंतजार में अब ये कर्मचारी वीआरएस लेने की सोच रहे हैं, लेकिन जब तनख्वाह ही नहीं मिली है तो फिर वीआरएस का पैसा भी मिलेगा या नहीं, इसे सोचकर एमटीएनएल कर्मचारियों का दिल धक से बैठा जा रहा है। एमटीएनएल के चेयरमैन सुनील कुमार को उम्मीद है कि एमटीएनएल दिसंबर के पहले हफ़्ते में एक महीने की तन्ख़्वाह रिलीज़ कर पाएगी। एमटीएनएल मज़दूर संघ के धर्मराज सिंह के मुताबिक़ उन्हें आखिरी बार वेतन सितंबर में मिला था। सुनील कुमार के मुताबिक तन्ख़्वाहों में देरी का कारण “रेवेन्यू कलेक्शन में कमी” है। मज़दूर संघ के धर्मराज सिंह के मुताबिक, “मैनेजमेंट कह रहा है पैसा नहीं है…. बैंक एमटीएनएल को लोन नहीं देते. इनकी (एमटीएनएल) बैलेंसशीट देखने के बाद बैंक कहते हैं, पैसे कहां से लौटाओगे. जब तक सरकार की गारंटी नहीं मिलती है कोई बैंक पैसा रिलीज़ नही करता.”
टेलीकॉम सेक्टर पर भारी कर्ज़ है. सरकारी और निजी कंपनियों दोनों ही इसका शिकार हैं। रिपोर्टों के मुताबिक एमटीएनएल पर 20,000 करोड़ रुपए का क़र्ज़ है. बीएसएनएल पर भी क़रीब इतना ही कर्ज़ है। एमटीएनएल मुंबई और दिल्ली में ऑपरेट करती है जबकि बीएसएनएल बाकी देश में मौजूद है। इस बीच बीएसएनल की तर्ज़ पर बड़ी संख्या में एमटीएनएल कर्मचारी भी वीआरएस के लिए आवेदन दे रहे हैं। वीआरएस स्कीम के तहत एक एमटीएनएल कर्मचारी सेवा अवधि के दौरान अपनी मर्ज़ी से नौकरी छोड़ने का फ़ैसला करता है।
एमटीएनएल चेयरमैन सुनील कुमार के मुताबिक़ वीआरएस के लिए उपयुक्त 16,000 कर्मचारियों में से 14,000 ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया है। स्कीम के मुताबिक़ 50 वर्ष या उससे ऊपर के कर्मचारी वीआरएस ले सकते हैं। वीआरएस स्कीम 3 दिसंबर तक लागू है । संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद में बीएसएनएल और एमटीएनलएल में दोबारा जान फूंकने की बात दोहराई है सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल में बढ़ते घाटे को देखते हुए दोनों के मर्जर, एक रिवाइवल पैकेज, संपत्ति की बिक्री और वीआरएस स्कीम की बात की है.