नई दिल्ली, 17 मार्च 2020

केंद्र सरकार ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दायर किया. केंद्र सरकार ने कहा है कि यह कानून किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता और इससे संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन होने का कोई सवाल नहीं उठता है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ”सीएए केंद्र को मनमानी शक्तियां नहीं देता है, नागरिकता इस कानून के तहत निर्देशित तरीकों से दी जाएगी.”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सीएए को चुनौती देते हुए 160 से अधिक याचिकायें दाखिल की गई है. याचिकाकर्ताओं में राजस्थान और केरल सरकार भी है. ज्यादातर याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून संविधान की आत्मा के खिलाफ है. 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था. अब केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है.

नागरिकता संशोधन कानून, 2019 में प्रावधान है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आये अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदाय के सदस्यों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.

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