रायपुर, 5 मई 2020
ये अपने आप में अनोखा कारनामा है। जो सरकार सत्ता में आने के डेढ़ साल पहले राज्य में पूर्ण शराबबंदी किये जाने का ढ़िंढोरा पीट रही थी। उसी सरकार ने सत्ता में आने के बाद न सिर्फ राज्य में शराब की दुकानों को संचालित करके रखा, बल्कि 40 दिनों के लॉकडाउन के बाद 4 मई को खुली शराब दुकानों पर उमड़ी भीड़ को देखने के बाद सरकार अब शराब की होम डिलीवरी शुरु कर रही है। इसके लिए सरकार ने बाकायदा एक बेवसाइट बनाई है। एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया है। हालांकि सरकार ने रायपुर और कोरबा में शराब की होम डिलीवरी नहीं देने का निर्णय किया है। इस तरह का मैसेज सरकार ने अपनी शराब बेचने वाली वेबसाइट पर दर्शाया भी है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने होम डिलीवरी के लिए 120 रुपये डिलीवरी चार्ज तय किया है साथ ही शराब मंगवाने वाले का आधार नंबर मांगा जाएगा। ऑनलाइन शराब ऑर्डर करने के लिए आबकारी विभाग ने http://csmcl.in वेबसाइट बनाई है। गूगल प्ले स्टोर पर CSMCL APP तैयार करवाया है। इस एप को डाउनलोड करके भी शराब की ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकती है। शराब की ऑनलाइन बुकिंग के दौरान मोबाइल नंबर के साथ आधार कार्ड और पूरा पता दर्ज करना होगा। सुराप्रेमी लॉगिन के बाद अपने पास की 1 विदेशी दुकान, 1 देशी और एक प्रीमियम दुकान लिंक कर सकेंगे।
4 मई को शराब दुकानों पर पूरे प्रदेश में उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए राजधानी रायपुर में सरकार ने 4 देशी और 11 विदेशी शराब दुकानों को बंद कर दिया है। 4 मई को एक ही दिन में प्रदेश की 653 शराब दुकानों से 35 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई। जबकि आमदिनों में सरकार रोजाना 2 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री किया करती थी। सालाना 5 हजार करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को शराब की बिक्री से प्राप्त होता है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में शराबखोरी एक बड़ी सामाजिक समस्या भी है। शराब के आदी लोग शराब पीने के लिए अपने घर, खेत, पत्नी के गहने, जेवर या तो गिरवी रेख देते हैं या बेच देते हैं। शराब प्रदेश के लोगों का शारीरिक और मानसिक् स्वास्थ्य बिगाड़ रही है। शराब पीने के बाद लड़ाई-झगड़े, यहां तक हत्या होने के केस भी देखने को मिले हैं। शराब पीने के बाद अपनी दुश्मनी निकालने के तो दर्जनों केस अब तक सामने आ चुके हैँ। जनता को सामाजिक और आर्थिक तौर पर कमजोर करने वाली शराब की समस्या से सबसे ज्यादा प्रदेश की महिलाएं हैँ। महिलाओं ने कभी गुलाबी गैंग बनाकर शराब दुकानों को बहिष्कार किया था। सरकार से प्रदेश में शराबबंदी लागू करने की मांग की थी। लेकिन पिछली भाजपा सरकार ने शराबबंदी न करके शराब को सरकारी संरक्षण में ला दिया। पहले प्रदेश में शराब दुकानों का लाइसेंस लॉटरी के जरिए आवंटित होता था। पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार ने लाईसेंस राज खत्म कर शराब के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड बना दिया। ये कॉरपोरेशन सीधे आबकारी विभाग के नियंत्रण में है। आबकारी विभाग शराब दुकानों पर प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए कर्मचारियों की नियुक्ति करता है। तर्क दिया गया कि इससे शराब की अवैध बिक्री में कमी आएगी और प्रदेश शराबबंदी की ओर अग्रसर होगा।
17 दिसंबर 2018 को सत्ता परिवर्तन होने के बाद भूपेश बघेल ने कांग्रेस के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। वादा किया कि प्रदेश में जल्द ही पूर्ण शराबबंदी की जाएगी। सरकार ने इसके लिए अक्टूबर 2019 में एक समिति बनाई। कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में बनी समिति में कांग्रेस के 8, भाजपा के 2, बसपा के 1 और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी के 1 सदस्य को शामिल किया गया। समिति में सदस्य के रूप में नई दिल्ली के सेवानिवृत्त संचालक डॉ. जेपी मिश्रा और आबकारी विभाग के संयुक्त सचिव चंद्रकांत उइके को सदस्य सचिव बनाया गया। इसके अलावा अनुशंसा समिति, सामाजिक समिति का भी गठन किया गया।
लेकिन 7 महीने बाद भी सरकार इन समितियों की सिफारिश पर शराबबंदी का फैसला नहीं कर पाई है। मौजूदा कोरोना संक्रमणकाल में शराब दुकानें 40 दिनों तक बंद रहीं। शराब को लेकर कहीं से भी इस तरह की कोई खबर नहीं मिली कि लोग इसके सेवन के बिना रह नहीं पा रहे हों। फिर 40 दिन के लॉक डाउन के बाद एकाएक शराब दुकानों को खोलने का निर्णय किस लिहाज से व्यावहारिक कहा जा सकता है। केन्द्र सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे चरण की शुरुआत के लिए जो गाइडलाइन बनाई थी, उनमें शराब दुकानों को खोलने न खोलने का जिम्मा राज्यों के ऊपर छोड़ा था। पंजाब की कैप्टन अमिरिंदर सिंह सरकार ने राज्य में शराब दुकानों को खोलने की मांग केन्द्र सरकार से की थी, इसके लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य को हो रहे 6 हजार करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का हवाला दिया था। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से ऐसी कोई मांग केन्द्र से नहीं की गई थी, फिर किस दबाव और किस वजह से प्रदेश में भूपेश सरकार ने शराब दुकानों को खोलने का निर्णय किया।
40 दिनों तक शराब दुकानों बंद रहने के बाद पूर्ण शराबबंदी किये जाने की घोषणा कांग्रेस सरकार के लिए सामाजित तौर पर तुरुप का पत्ता साबित हो सकती थी। लेकिन 4 मई को शराब दुकानों पर जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग और धारा 144 की धज्जियां उड़ी, उसके बाद कोरोना संक्रमणकाल में शराब दुकानों को खोलने और उसके बाद शराब की होम डिलीवरी करने का निर्णय राज्य सरकार पर भारी पड़ सकता है।