दिल्ली
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शराब नीति से जुड़ी कैग की रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश की। 14 कैग रिपोर्ट में से मंगलवार को पहली कैग रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई है। कैग रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे किए गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (आप) की न्यू एक्साइज पॉलिसी से दिल्ली सरकार को लगभग 2002.68 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। नई शराब नीति में पहले के एक व्यक्ति को एक लाइसेंस मिलता था। लेकिन नई नीति में एक शख्स को दो दर्जन से ज्यादा लाइसेंस ले सकता था। पहले दिल्ली में 60 फीसदी शराब की बिक्री 4 सरकारी कॉर्पोरेशन से होती थी। लेकिन नई शराब नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती है। शराब बिक्री का कमीशन 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया।
कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि थोक का लाइसेंस शराब वितरक और शराब निर्माता कंपनियों को भी दे दिया गया, जो कि उल्लंघन था। नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती है। लाइसेंस देने से पहले आर्थिक या आपराधिक कोई जांच नहीं की गई। लिक्वर जाइन के लिए 100 करोड़ के निवेश की जरूरत होती थी। लेकिन नई पॉलिसी में इसे खत्म कर दिया गया। कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि शराब लाइसेंस देने में राजनीतिक दखल और भाई भतीजा वाद हुआ।
शराब नीति ने एक आवेदक को 54 शराब की दुकानों तक संचालित करने की अनुमति दी, पहले सीमा 2 थी। इससे एकाधिकार और कार्टेलाइजेशन के रास्ते खुल गए। पहले, सरकारी निगम 377 रिटेल वेंड का संचालन करते थे, जबकि 262 निजी व्यक्तियों द्वारा चलाए जा रहे थे। नई पॉलिसी के तहत 32 रिटेल जोन बनाए गए, जिसमें 849 वेंड शामिल थे, लेकिन केवल 22 निजी संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए, जिससे ट्रांसपेरेंसी और फेयरनेस कम हो गई।
नई शराब नीति में दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 35 को लागू नहीं किया गया। इसके कारण विनिर्माण में रुचि रखने वाले थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के साथ संबंध रखने वाले थोक विक्रेताओं को लाइसेंस दे दिए गए। सरकार ने दिवालियापन, ऑडिटेड वित्तीय विवरण, बिक्री डेटा और अन्य राज्यों में घोषित थोक मूल्य, आपराधिक पृष्ठभूमि सत्यापन जैसे आवश्यक मानदंडों की जांच किए बिना लाइसेंस जारी किए।
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कैग रिपोर्ट को लेकर कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कैग रिपोर्ट को लेकर बेहद गंभीर टिप्पणी की थी। कैग रिपोर्ट को पेश करने में लापरवाही बरती गई थी। कैग रिपोर्ट को पिछली सरकार ने जानबूझ कर रोके रखा था। उपराज्यपाल के पास समय रहते रिपोर्ट को नहीं भेजा गया था। आज एक रिपोर्ट पेश की गई है। रिपोर्ट कई हैं। मैं चाहता हूं कि हर विभाग की कैग रिपोर्ट को पेश किया जाए। रिपोर्ट में लाइसेंस उल्लंघन की भी बात सामने आई।