रायपुर
सुशासन तिहार की रोशनी प्रदेश के कोने -कोने में फ़ैल रही है लेकिन ग्राम बल्दाकछार के बेरोजगार आदिवासी युवा टिकेश्वर के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। सुशासन तिहार से विशेष पिछड़ी जनजाति के युवा टिकेश्वर प्रसाद के जीवन में नई रोशनी आई है। विगत 9 मई को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का हेलीकॉप्टर जब अचानक विकासखण्ड कसडोल के ग्राम बल्दाकछार में उतरा तो ग्रामवासियों के लिए यह किसी कौतूहल से कम नहीं था।
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने स्नेह और आत्मीयता से ग्रामीणों का दिल जीत लिया। इसी बीच जब विशेष पिछड़ी जनजाति के कमार युवा ने मुख्यमंत्री से परिवार चलाने नौकरी करने की इच्छा जताई तो उन्होंने तत्काल कलेक्टर दीपक सोनी को इस प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया। कलेक्टर सोनी ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्यवाही करते हुए कसडोल के शासकीय पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास में चतुर्थ श्रेणी में रिक्त पद पर कलेक्टर दर पर टिकेश्वर को नियुक्ति दी। कलेक्टर दीपक सोनी ने टिकेश्वर प्रसाद को मंगलवार को नियुक्ति आदेश प्रदान किया।
उल्लेखनीय है कि टिकेश्वर प्रसाद का परिवार बाँस की टोकनी, सूपा, पर्रा इत्यादि निर्माण का पारंपरिक व्यवसाय करता है ,जिसमें बहुत कम आमदनी होती है। टिकेश्वर 12 वीं तक की पढ़ाई करने के बाद इस काम में माता -पिता का हाथ बंटा रहा था। किसी तरह परिवार की गुज़र बसर हो रहा था। जब मुख्यमंत्री ने उससे बातचीत की ,तो उसने नौकरी करने की इच्छा व्यक्त की ताकि वह अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सके। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने टिकेश्वर की सिर्फ़ इच्छा पूरी नहीं की बल्कि उसके जीवन में नई उम्मीद भी जगाई है। टिकेश्वर ने इस के लिए मुख्यमंत्री का दिल से आभार व्यक्त किया और अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि अब वह अपने माता- पिता का सहारा बन गया है।
मुख्यमंत्री के निर्देश का हुआ अनुपालन-मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश के अनुपालन में ग्राम बल्दाकछार में राजस्व एवं वन विभाग की टीम के द्वारा विशेष शिविर का आयोजन किया गया जिसमें ग्रामीणों को वन अधिकार पत्र के संबंध में जानकारी दी गई एवं वन अधिकार पत्र हेतु आवेदन प्राप्त किए गए। शिविर में बल्दाकछार के पांच ग्रामीणों के द्वारा वन अधिकार पत्र हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया। कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देशानुसार ग्राम बल्दाकछार में शिविर की जानकारी हेतु कोटवार के माध्यम से मुनादी भी कराई गई थी।