रायपुर, 05 मार्च 2022
गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में ग्रामीणों से 2 रूपए की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। गौठानों में 15 फरवरी तक खरीदे गए 64.92 लाख क्विंटल गोबर के एवज में गोबर बेचने वाले ग्रामीणों को 129.86 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है। 6 मार्च को गोबर विक्रेताओं को 2 करोड़ 7 लाख रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 131.93 करोड़ रूपए हो जाएगा।
गौठान समितियों को भी अब तक 48.05 करोड़ रूपए तथा महिला स्व-सहायता समूहों 31.34 करोड़ रूपए राशि लाभांश की भुगतान किया जा चुका है।
गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा 11 लाख 64 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 4 लाख 65 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों एवं किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है।
महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 53 करोड़ 24 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं।
राज्य में गौठानों से 11,493 महिला स्व सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 77189 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए एमओयू हो चुका है।
राज्य में गोधन के संरक्षण और सर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,591 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8349 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं।
जिसमें से 2800 गौठान आज की स्थिति में स्वावलंबी हो चुके हैं। गोधन न्याय योजना से 2 लाख से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। इस योजना से 98 हजार 710 भूमिहीन परिवार भी लाभान्वित हो रहे हैं।