नई दिल्ली, 6 मार्च 2022
एलआईसी आईपीओ पर फिलहाल संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बाजार विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि सरकार एलआईसी के मेगा इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) को अगले वित्तीय वर्ष के लिए टाल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध ने पब्लिक इश्यू में फंड मैनेजरों की रुचि को कम कर दिया है।
सरकार इस महीने जीवन बीमा निगम (LIC) में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही थी, जिससे सरकारी खजाने को 60,000 करोड़ रुपये से अधिक मिल सकते थे। इसका वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से 78,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है, जिससे वह अभी बहुत पीछे चल रही है।
मिल चुके हैं ये संकेत
एक दिन पहले ही निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने से पैदा हुई अनिश्चितता को देखते हुए सरकार इस आईपीओ के बारे में कोई भी निर्णय निवेशकों के हितों को ध्यान में रखकर ही करेगी। तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि सरकार एलआईसी का आईपीओ चालू वित्त वर्ष में ही लाना चाहती है लेकिन मौजूदा स्थिति काफी गतिशील हो चुकी है। पांडेय ने कहा, “इस समय कुछ अप्रत्याशित घटनाएं हो रही हैं। हम बाजार पर करीबी निगाह रखे हुए हैं। सरकार जो भी कदम उठाएगी वह निवेशकों और आईपीओ के हित में ही होगी।”
मार्केट एक्सपर्ट क्या चाहते हैं?
बसंत माहेश्वरी वेल्थ एडवाइजर्स एलएलपी के सह-संस्थापक बसंत माहेश्वरी ने कहा, “मुझे लगता है कि एलआईसी एक बहुत अच्छा आईपीओ है, लेकिन यह इसके लिए सही समय नहीं हो सकता है।” एलआईसी की लिस्टिंग को लेकर काफी उम्मीदें हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 में परियोजना की घोषणा के बाद से आईपीओ को लगभग एक साल के लिए स्थगित कर दिया था। माहेश्वरी ने कहा, “इसकी कीमत इस तरह से तय की जानी चाहिए कि लोग पैसा कमा सकें। अगर केवल जारीकर्ता पैसा बनाता है, तो इस आईपीओ के लॉन्ग टर्म इम्प्लिकेशन्स खराब होंगे।”