सीएम नीतीश की सौगात : ‘आशा’ को खुशियों का ट्रिपल डोज, ‘ममता’ का दोगुना हुआ संबल। नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान : ‘आशा’ को 3 गुना खुशियां, ‘ममता’ का दोगुना हुआ सम्मान! आशा कार्यकर्ताओं को 1 की जगह 3 हजार, ममता कार्यकर्ताओं को 300 की जगह 600 रुपये मिलेंगे। गांव की सेहत सुधारने वाली महिलाओं को सरकार का सलाम, बढ़ा दिया गया मानदेय। नीतीश सरकार ने बदली आशा-ममता की तकदीर, तीन गुना तक बढ़ा दिया मानदेय
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट X से आशा और ममता कार्यकर्ताओं को बड़ी सौगात दी है। बिहार सरकार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं को सौगात देते हुए उनकी प्रोत्साहन राशि तीन गुनी बढ़ा दी है। वहीं ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव मिलने वाली राशि को भी दोगुना कर दिया है। उन्होंने एक बार फिर यह साबित किया है कि उनकी सरकार की प्राथमिकता में जनस्वास्थ्य सेवाएं हैं। जिसमें अहम भूमिका निभाने वाली महिला कार्यकर्ताओं की भूमिका को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इतना हो गया आशा और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय
मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार के ऐलान के बाद से आशा कार्यकर्ताओं को प्रति माह 1,000 रुपये की जगह 3,000 रुपये दिए जाएंगे। ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव 300 की बजाय अब 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस फैसले को ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में अहम कदम बताया है।
मुख्यमंत्री ने खुद दी जानकारी
नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर सुखद जानकारी साझा करते हुए लिखा कि नवंबर 2005 से हमने स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। आशा और ममता कार्यकर्ताओं ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। उनकी मेहनत और योगदान के सम्मान में यह निर्णय लिया गया है। मानदेय बढ़ने से उनका मनोबल और कार्यक्षमता बढ़ेगी, जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं और मजबूत होंगी।
क्यों खास है यह फैसला?
तीन गुना बढ़ा आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 1,000 रूपये से बढ़ा कर 3,000 रुपए प्रति माह और ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव प्रोत्साहन राशि 300 रुपए से बढ़ा कर 600 रुपए प्रति डिलीवरी कर दी गई। 10,000 से अधिक गांवों में कार्यरत हैं आशा और ममता कार्यकर्ता, जिनके जरिए गर्भवती महिलाओं की देखभाल, टीकाकरण और सुरक्षित प्रसव जैसी सेवाएं घर-घर तक पहुंचाई जा रही हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की असली नायिकाएं
बताते चलें कि, ग्रामीण इलाकों में आशा और ममता कार्यकर्ता सरकार की योजनाओं को ज़मीन पर उतारने वाली सबसे मजबूत कड़ी हैं। चाहे गर्भवती महिलाओं की देखरेख हो या नवजात शिशुओं का टीकाकरण, इन महिलाओं की मेहनत और समर्पण ही है, जो सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं संभव बनाता है। सरकार की यह पहल सिर्फ मानदेय वृद्धि नहीं, बल्कि एक मानवीय और प्रेरक संदेश भी है। ये जमीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले कर्मियों का सम्मान भी है।
स्वास्थ्य सेवा से हर घर तक पहुंच
स्वास्थ्य विभाग के मंत्री मंगल पांडेय के मुताबिक, “यह फैसला एक प्रशासनिक कदम नहीं बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम है। आशा और ममता कार्यकर्ताओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर उनकी कार्यशक्ति को दोगुना किया जा रहा है।” इससे न केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि गर्भवती महिलाओं, नवजातों और गरीब परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी।