लखनऊ, 3 जनवरी, 2022

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने चिटफंड कंपनियों को लेकर योगी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सहारा जैसी कंपनियों ने लाखों गरीबों को लूट लिया है, लेकिन योगी सरकार इस पर चुप्पी साधे बैठी है। अजय कुमार लल्लू ने बीजेपी सरकार पर सवाल उठाते हुए सपा और बसपा जैसे विपक्षी दलों से भी इस मामले पर अपना पक्ष स्पष्ट करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गरीबों से लगातार हो रही इस लूट के खिलाफ कांग्रेस पार्टी 4 जनवरी को प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेगी।

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सहारा इंडिया ग्रुप में छोटे-छोटे दुकानदार, रेहड़ी, ठेला-पटरी चलाने वाले गरीब, मध्यमवर्गीय मजदूर, महिलाएं, घरेलू काम करने वाली महिलाओं ने किस्तों में 10 रुपये से लेकर सैकड़ों रुपये तक का आरडी खाता खुलवाया था। साथ ही कई सारे लोगों ने फिक्स डिपॉजिट भी किया मगर मिंयाद पूरी होने के बावजूद उनका पैसा नहीं मिल पा रहा है। इन गरीबों ने अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व घर परिवार में किसी भी छोटे-बड़े काम के लिए पैसा जमा किया था लेकिन अब वे सब लुटे हुए महसूस कर रहे हैं। इन कम्पनियों में बड़ी संख्या में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लोगों के पैसे फंसे हुए हैं।

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई डाटा या सूची नहीं है जिससे यह पता चल पाये कि प्रदेश के कितने लोगो का कितना पैसा फँसा है। प्रदेश का ऐसा कोई जिला, कस्बा, गांव अछूता नहीं है, जहाँ ग़रीब और सामान्य लोगों का पैसा सहारा में न फँसा हो। गरीब लोग रोज बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं, मियादें पूरी हो गई हैं पर पैसा नहीं मिला है। इंसेंटिव के चक्कर में जिन जमाकर्ताओं ने लोगों से पैसा जमा कराया, उनके साथ मार-पीट की घटनाएं हो रही है। तमाम जमाकर्ता घर छोड़कर भाग गए, कितनों ने आत्महत्या भी कर ली है। आखिर योगी सरकार गरीबों को उनका पैसा वापस दिलाने के लिए क्या कर रही है ? सपा-बसपा भी इस मसले पर अपना स्टैंड क्लियर करे।

लल्लू ने कहा कि सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉर्पोरेशन (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) के जरिये 2.25 करोड़ निवेशकों से करीब 24 हजार करोड़ रुपये जुटाये। इसके बाद इन पैसों का कैसे और कहाँ इस्तेमाल किया गया, इसका कोई रिकार्ड नहीं है। जब सेबी ने जांच शुरू की तो पता चला कि कई निवेशक फर्जी थे। बाकी कंपनी का दूर-दूर तक पता नहीं था। इन दो कंपनियों के अलावा तमाम कंपनियों में गरीबों का पैसा आर.डी और एफडी के रूप में जमा कराया गया जिन पर किसी तरह का अदालती मामला नहीं है। आखिर इन कंपनियों से ग़रीबों को पैसा वापस क्यों नहीं मिल रहा है। योगी सरकार पैसा वसूलकर गरीबों को क्यों नहीं दे रही है। ग़रीबों का पैसा हड़पने वाली कंपनियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में किस तरह की बाधा है?

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अजय कुमार लल्लू ने कहा कि पर्ल्स ग्रुप की कंपनी PACL लिमिटेड की भी यही कहानी है, इस रियल स्टेट की कंपनी में प्लाटिंग व हाउसिंग की स्कीम के तहत पैसा जमा किया गया। सेबी ने 22 अगस्त 2014 को इसे बंद कर दिया। सेबी ने आरोप लगाया कि RD, FD के नाम पर कंपनी लोगों से अवैध तरीके से पैसा ले रही है। इसमें टोटल निवेशक 5.85 करोड़ हैं, जबकि टोटल देनदारी 49 हजार 100 करोड़ रुपया है। 2 फरवरी 2016 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी व सेबी को 6 माह पैसा भुगतान करने का आदेश दिया जबकि 6 वर्षों में भी आज तक सिर्फ 2 प्रतिशत लोगों का अधूरा भुगतान किया गया है। पर्ल्स कंपनी के ऑफिसों में 50 प्रतिशत से अधिक पॉलिसी जमा हैं। सेबी उन पॉलिसियों का भुगतान करने से मना कर रही है। लोगों के पास ऑफिस द्वारा दी गई पावती है। पॉलिसी को सेबी स्वीकार नहीं कर रही है। पावती वाले छोटे-छोटे वर्ग के लोग हैं।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पर्ल्स के पीड़ित लोगों ने 1.25 लाख पत्र पीएमओ को भेजे हैं। सेबी को पत्र भेजा गया है। वर्तमान वित्तमंत्री, तत्कालीन वित्त मंत्री से मिले लेकिन नतीजा सिफर रहा है। इन निवेशकों में से ज्यादातर निवेशक उत्तर प्रदेश के हैं, जिन्होंने बेहतर रिटर्न के लिए पर्ल एवं सहारा में इंवेस्ट किया। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और SEBI के दखल के बाद भी अभी तक लोगों के हाथ खाली हैं। उत्तर प्रदेश के गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों को न्याय दिलाये जाने एवं सरकार का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराने के उद्देश्य के साथ ही सरकार द्वारा इन कम्पनियों में जिन निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है उन्हें सूचीबद्ध कर वापस दिलाये जाने की मांग को लेकर कांग्रेस पार्टी दिनांक 04-01-2022 को उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना/प्रदर्शन करेगी। पैसे वापस न होने पर कांग्रेस पार्टी गांव, कस्बों से लेकर सड़कों तक लड़ाई लड़ेगी।

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