नई दिल्ली, 14 जून 2022

नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ED) की लगातार दूसरे दिन की जा रही पूछताछ के विरोध में कांग्रेसी नेता सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं।देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के अलग- अलग राज्यों में कांग्रेसी कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर ईडी की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।

इस बीच कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का बयान आया है। सुरजेवाला ने कहा कि ईडी मोदी सरकार का इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट बन गया है। सुरजेवाला ने ईडी की कार्यशेैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि

1.  आखि़र भाजपा के निशाने पर राहुल गाँधी और कांग्रेस ही क्यों है?
2.  क्या जनता के मुद्दे उठाने वाली मुखर आवाज़ को दबाने का षड़यंत्र है ED की कार्यवाही?
3.  क्या राहुल गांधी मोदी सरकार द्वारा चंद धन्ना सेठों के हित साधने में रोड़ा बने हैं?
4. भाजपा सरकार हज़ारों करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च कर , अपने 40-50 मंत्री लगाकर, सारे मीडिया पर दबाव डालकर केवल एक आवाज़ राहुल गाँधी पर इतनी ज्यादा हमलावर क्यों है?

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने उपरोक्त सवालों को उठाते हुए कहा कि मोदी सरकार, कांग्रेस की एकजुटता और राहुल गांधी की बुलंद आवाज से डर गई है। सुरजेवाला ने कहा कि जब चीन ने हमारे देश की सरज़मीं पर जबरन कब्ज़ा किया और हमारे जवान शहीद हुए, तो देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘न कोई घुसा है, न कोई आया है’।
तब विपक्ष की एकमात्र आवाज़ बनकर राहुल गाँधी ने सरकार को इस झूठ पर घेरा और देश की माटी के लिए, शहीद जवानों के लिए आवाज़ उठाई। आज दो साल बीतने के बावज़ूद भी मोदी जी चीन को भारत की सीमा से वापस नहीं खदेड़ पाए। इसलिए राहुल गाँधी से परेशानी है।

सुरजेवाला ने कहा कि महंगाई से हो रही जनता की बदहाली पर राहुल गाँधी ने लगातार सरकार को घेरा। पेट्रोल-डीज़ल हो, रसोई गैस हो, खाने-पीने का सामान हो, उन्होंने लगातार देश के मध्यम वर्ग, नौकरीपेशा, गरीबों, छोटे दुकानदारों, छोटे व्यापारियों के पक्ष में जोरदार आवाज़ उठाई। इसलिए राहुल गाँधी से परेशानी है।
डूबती अर्थव्यवस्था और गिरते रुपये को लेकर, एमएसएमई की बदहाली को लेकर, छिनती नौकरियों को लेकर, चौतरफा बेरोजगारी को लेकर, युवाओं के गुस्से को लेकर, राहुल गाँधी ने लगातार आवाज़ उठाई। इसलिए राहुल गाँधी से परेशानी है।

सुरजेवाला ने मोदी सरकार की नाकामियों की क्रोनोलॉजी बताते हुए कहा कि  कोरोना में जब सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया, उस समय राहुल गाँधी ने न केवल सरकार को चेताया, बल्कि सरकार को देर से ही सही, कार्यवाही के लिए मजबूर किया। जब कोरोना के टीके से पैसा वसूली कर हजारों करोड़ का मुनाफा कमाया जा रहा था, तो राहुल गाँधी ने आवाज़ उठाई और सरकार को मुफ़्त टीकाकरण के लिए बाध्य किया। जब लाखों मज़दूर हज़ारों किलोमीटर पैदल चलकर दर दर की ठोकरें खा रहे थे, तो उन मेहनतकशों की आवाज़ भी राहुल गाँधी ने उठाई। इसलिए, राहुल गाँधी से परेशानी है।
जब लाखों किसान न्याय की गुहार लिए राजधानी दिल्ली के बाहर आठ महीने तक बैठे थे, 700 किसान कुर्बान हो गए और मोदी सरकार उनके रास्ते में कील और काँटे बिछा रही थी, तो लगातार ट्रैक्टर यात्रा कर, किसान-मज़दूरों की आवाज़ बनकर व सौ सांसदों को किसान संसद में ले जाकर राहुल गाँधी ने देश के अन्नदाता की आवाज़ उठाई और तीन काले कानूनों को वापस लेने के लिए मोदी सरकार को मजबूर कर दिया। इसलिए, राहुल गाँधी से परेशानी है।
सुरजेवाला ने कहा कि देश में नफ़रत के माहौल के खिलाफ़ और भाईचारे व अनेकता में एकता के विचार के लिए एकमात्र आवाज़ जिसने सरकार की आँख में आँख डालकर कहा कि नफ़रत से देश का भला नहीं होगा, वह राहुल गाँधी हैं। इसलिए, मोदी जी को राहुल गाँधी से परेशानी है।

प्रधानमंत्री जी कभी प्राइवेट कंपनियों के नुमाइंदे बन फ्रांस में राफेल का ठेका दिलवाते हैं, तो कभी प्राइवेट कंपनी को श्रीलंका में बिजली का ठेका देने का दबाव डालते हैं। राहुल गाँधी ने मुट्ठीभर उद्योगपतियों और मोदी सरकार के इस गठजोड़ को बेनकाब किया। इसलिए, राहुल गाँधी से परेशानी है।
क्रोनोलॉजी समझें – मोदी सरकार ने बौखला कर ‘‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’’ – ED के पीछे छिपी सत्यनिष्ठा की आवाज पर हमला बोला है।
ये हमला विपक्ष की उस निर्भीक आवाज़ पर है जो जनता के सवालों को सरकार के सामने दृढ़ता से रखती है, जो जनता के मुद्दों को भयमुक्त होकर उठा रही है।
भाजपाई सत्ता की एजेंसियों के डर से कितने ही लोगों ने समझौता कर, भाजपा में माफ़ीनामा देकर, भाजपा में प्रवेश कर लिया। अब वो दूध के धुले हो गए हैं। कितनों ने घुटने टेक दिए। लेकिन हुल गाँधी ही हैं, जिन्होंने सरकार की आँख में आँख डालकर जनता के सवाल उठाए हैं।
ये हमला उस निर्भीक आवाज़ पर है। ये हमला जनता के मुद्दों पर है। ये हमला बेरोज़गारों, गरीबों, छोटे दुकानदारों व व्यापारियों, मध्यम वर्ग व नौकरीपेशा, महिलाओं, दलितों, पिछड़ों व आदिवासियों के अधिकारों व संविधान से जुड़े सवालों पर है।

हम न डरेंगे, न झुकेंगे, न दबेंगे,
देश के लिए लड़ते रहेंगे।

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