रायपुर, 13 जून 2020

आज भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना वायरस (कोविड-19) जैसी खतरनाक और जानलेवा संक्रामक बीमारी से लड़ रही है। कोविड-19 के खिलाफ इस जंग में डॉक्टर और नर्स सबसे बड़े कोरोना वॉरियर्स बनकर सामने आए है। भारत में जनवरी में कोविड का पहला केस सामने आने के बाद से ही डॉक्टर और नर्स कमर कस कर रात-दिन लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। घंटों तक पीपीई किट पहने रहना, कोरोना संक्रमित मरीजों और कोरोना संक्रमित डेड बॉडीज के बीच खुद को सुरक्षित रखते हुए काम करते रहना हर किसी के बस की बात नहीं है।

कोविड के खिलाफ दुनिया में लड़ी जा रही इस लड़ाई में जितना योगदान डॉक्टर, पुलिसकर्मी निभा रहे हैं, उनसे भी ज्यादा बड़ी भूमिका अस्पतालों में काम करने वाली नर्स, कम्पाउंडर और वॉर्ड बॉय निभा रहे हैं। नर्सिंग के पेशे को अब तक आम तौर पर इतना सम्मान नहीं मिलता था, जितना कि कोविड-19 के आने के बाद मिलना शुरु हुआ है। अब हर सफेद एप्रन पहनी नर्स में मरीज को भगवान नजर आता है।

नर्सिंग का मोटो ही मानवता की सेवा है। जिन महिला-पुरुषों में मानवता को लेकर करुणा का भाव है और दूसरों की सेवा करने में आनंद प्राप्त करते हैं। ऐसे युवक-युवतियां नर्सिंग के पेशे के लिए सबसे उपयुक्त कैंडिडेट होते हैं। कोरोना वायरस की वजह से जब दुनिया भर में करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं। प्रोडक्शन इंडस्ट्री की रफ्तार सुस्त है और भविष्य को लेकर कुछ नजर नहीं आ रहा है। तब भी नर्सिंग का पेशा सुनहले सूरज की भांति आपको दिशा दिखाता हुआ दिखाई दे रहा है। क्योंकि कोविड जैसी भयानक बीमारी में जब सब कुछ लॉकडाउन के चलते बंद हो गया, तब भी देशभर में अस्पताल खुले रहे, डॉक्टर और नर्स अपने काम पर डटे रहे।

जो युवक-युवतियां अभी अपने जीवन के शुरुआती मोड पर हैं और करियर की दिशा को लेकर कन्फ्यूज हैं, उन्हें नर्सिंग के पेशे में करियर बनाने को लेकर गंभीर होना चाहिये। नर्सिंग का पेशा तनावपूर्ण जरूर है। लेकिन इसमें आकर्षक वेतन, आकर्षक सुविधाएं, भारत से बाहर विदेश में भी नौकरी करने के अवसर समेत समाज में सम्मान पाने के मौके मौजूद हैं।

12वीं पास युवक-युवती नर्सिंग में करियर कैसे बना सकते हैं। उनके लिए कुछ विशेष जानकारी इस प्रकार है।

ऐसे करें शुरुआत

नर्स बनने के लिए आपको बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक नर्सिंग अथवा एमएससी नर्सिंग में एडमिशन लेकर डिग्री प्राप्त करनी होगी। कई राज्यों में जीएनएम एवं एएनएम का कोर्स भी कराया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में जीएनएम कोर्स बंद किया जा चुका है, जबकि मध्यप्रदेश में अगले वर्ष से जीएनएम कोर्स बंद हो जाएगा।

योग्यता

बीएससी नर्सिंग एवं पोस्ट बेसिक नर्सिंग में प्रवेश के लिए आपको विज्ञान विषय के साथ 12वीं पास होना आवश्यक है। 12वीं में आपके कम से कम 45 फीसदी अंक होना जरूरी है। न्यूनतम आयु 17 वर्ष होना जरूरी है।

बीएसी नर्सिंग 4 वर्षीय कोर्स है। जबकि पोस्ट बेसिक नर्सिंग 2 वर्षीय कोर्स है। एमएससी नर्सिंग पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम 2 वर्षीय कोर्स है। हर पाठ्यक्रम में सेमेस्टर के हिसाब से पढ़ाई और परीक्षाएं होती हैं। लेकिन इन सभी कोर्सेज में बीएससी नर्सिंग को ही आधुनिक नर्सिंग कोर्स माना जाता है।

अवसर

बीएससी नर्सिंगि, पोस्ट बेसिक नर्सिंग या एमएससी नर्सिंग की डिग्री लेने के बाद सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में नौकरी के अवसर बढ़ जाते हैं। जैसे कि भारतीय रक्षा सेवाओं की होने वाली परीक्षाओं में नर्सिंग डिग्रीधारियों के लिए नौकरी के अवसर होते हैं। देश के किसी भी आयुर्विज्ञान संस्थान जिनको हम एम्स के नाम से जानते हैं, उनमें नौकरी मिलने के अवसर बढ़ जाते हैं। लेकिन इसके लिए नर्सिंग की डिग्री हासिल करने के बाद आपको संबंधित राज्य की नर्सिंग काउंसिल में अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। इस रजिस्ट्रेशन से आपको नौकरी हासिल करने में सहूलित होगी।

सरकारी अथवा निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम, अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम, आरोग्य निवास, विभिन्न अन्य उद्योगों एवं रक्षा सेवाओं में ट्रेंड नर्सों के लिए नौकरी के अपार अवसर हैं।  इनके लिए इन्डियन रेड-क्रॉस सोसाइटी, इन्डियन नर्सिंग काउंसिल, स्टेट नर्सिंग काउन्सिल्स और अन्य नर्सिंग संस्थानों में भी कई अवसर हैं।

नर्सें मेडिकल कॉलेज व नर्सिंग स्कूलों में शिक्षण कार्य के अलावा प्रशासनिक कार्य भी कर सकती हैं. उद्यमी लोग अपना खुद का नर्सिंग ब्यूरो शुरू करके अपनी शर्तों पर काम कर सकते हैं.

पोस्ट-बेसिक नर्सिंग की दो वर्षीय डिग्री पाने के बाद आप निम्न क्षेत्रों में विशेषज्ञ बनकर सेवाएं दे सकते हैं।

कार्डिएक थोरेकिक नर्सिंग

क्रिटिकल-केयर नर्सिंग

इमरजेंसी एवं डिजास्टर नर्सिंग

नियो-नेटल नर्सिंग

न्यूरो नर्सिंग

नर्सिंग शिक्षा एवं प्रशासन

ऑन्कोलोजी नर्सिंग

ऑपरेशन-रूम नर्सिंग

विकलांग चिकित्सा नर्सिंग

मिड वाइफरी प्रैक्टिशनर

साइकैट्रिक नर्सिंग

पढ़ाई का खर्च

नर्सिंग की पढ़ाई का खर्च अलग-अलग संस्थानों पर निर्भर करता है। सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज, निजी संस्थानों की अपेक्षा कम दर पर शिक्षा मुहैय्या कराते हैं।  निजी संस्थान बीएससी नर्सिंग कोर्स के लिए 50,000 से 2 लाख तक वार्षिक फीस लेते हैं।

वेतनमान

इस क्षेत्र में शुरुआती तौर पर आपको 7 से 17 हज़ार रुपये तक मासिक वेतन मिल सकता है. मिड-लेवल पदों पर नर्सें 18 से 37 हज़ार रुपये प्राप्त कर लेती हैं. अधिक अनुभवी नर्सों को 48 से 72 हज़ार रुपये तक भी मासिक वेतन के रूप में मिल सकते हैं. यूएस, कनाडा, इंग्लैण्ड व मध्य-पूर्व के देशों में रोज़गार पाने वाली नर्सों को इससे भी अधिक वेतन मिलता है.

विदेश में भी जॉब के मौके

विदेशों में उच्च शिक्षित नर्सों की बहुत मांग है। भारत कई देशों में नर्सों की आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा देश बन चुका है।  अच्छे पैसे व बेहतर रहन-सहन की चाहत में अनुभवी भारतीय नर्सें विदेशों का रुख करने लगी हैं ।  देश में नर्सों की संख्या में कमी की एक बड़ी वजह यह भी है

कॉलेज का चयन ऐसे करें

नर्सिंग में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को ये देखना जरूरी है कि जिस कॉलेज में वो दाखिला ले रहे हैं, उसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और स्टेट काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता हासिल होनी चाहिये। साथ ही संबंधित राज्य के स्वास्थ्य विभाग से भी उनको कोर्स संचालित किये जाने की परमीशन हासिल होनी चाहिये।

देखने में आता है कि कई निजी कॉलेज छात्र-छात्राओं को अंधेरे में रखकर बिना मान्यता मिले ही नर्सिंग में दाखिला ले लेते हैं और दूसरी तरफ मान्यता, परमीशन के लिए दौड़-धूप करते रहते हैं, लेकिन आधा साल गुजर जाने के बाद भी जब ऐसे कॉलेजों को आईएनसी, स्टेट नर्सिंग काउंसिल और संबंधित राज्य के स्वास्थ्य विभाग की परमीशन नहीं मिलती है तो ये हाथ खड़े कर देते हैं, लेकिन इस सब में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को साल बर्बाद हो जाता है।

प्रवेश लेने से पहले कॉलेज की रेपुटेशन, वहां की सुविधाओं, मान्यता, हॉस्टल, परिवहन, लैब, क्लीनिकल ट्रेनिंग आदि की संबद्धता की जांच अच्छे से कर लेनी चाहिये।

इसके लिए संबंधित कॉलेज से पास आउट होकर निकले छात्र-छात्राओं से भी जानकारी हासिल की जा सकती है।

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