रायपुर: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य आज 15वें वित्त आयोग के सदस्यों से मिल कर ग्यारह सूत्रीय मांगो का ज्ञापन सौपा है। माकपा सदस्यों और 15वें वित्त आयोग के सदस्यों के बिच हुई बैठक में माकपा सदस्यों ने सूखा, भुखमरी, बेरोजगारी, आदिवासियों का प्रदेश से पलायन सहित प्रदेश के सरकारी गोदामों में भरे अनाज के भण्डारण पर भी चर्चा की। माकपा सदस्यों ने चर्चा के दौरान अनाज से भरे पड़े गोदामों में समाधान पर राय मागि साथ ही इस पर सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये बांटने की मांग की। सदस्यों ने कहा कि आज प्रदेश की स्थिति यह है की एक ओर तो गोदामों में अनाज के पहाड़ है और दूसरी ओर भूख से लोगो की मौत हो रही है। इस पर भी सबसे ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि इस अनाज को चूहों को खाने की आज़ादी है, लेकिन सरकार इसे गरीबों मे बांटने से इंकार कर रही है।

15 वें वित्त आयोग के सदस्यों के साथ हुई बैठक मे माकपा सदस्यों द्वारा ज्ञापन दिया गया। इस दौरान माकपा पार्टी के राज्य सचिवमण्डल सदस्य धर्मराज महापात्र, B सान्याल व M K नंदी ने इस बैठक मे हिस्सा लिया। पार्टी ने आयोग के सदस्य अशोक लहरी के FCI से मुलाकात की।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादीद्ध की छत्तीसगढ़ राज्य समिति की ओर से वित्त आयोग के समक्ष निम्न सुझाव दिए गए हैं।

1 हमारी पार्टी माकपा लंबे अरसे से यह मांग कर रही है कि राज्यो को कर राजस्व का 50 फीसद हिस्सा केंद्र द्वारा प्रदान किया जाना चाहिए।

2 छत्तीसगढ़ प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 45 फीसद हिस्सा वन आधारित हैए राज्य की आबादी का लगभग 32 फीसद हिस्सा आदिवासियों व 15 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति का है। आदिवासी क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा संविधान के पाँचवी अनुसूची के अधीन है। इस रोशनी में राज्य को इन क्षेत्रों के विकास हेतु विशेष सहायता प्रदान करनी चाहिए ।

3 देश के सर्वाधिक पिछड़े जिलों में से छत्तीसगढ़ के 10 जिलों की भी पहचान की गई है। अतः इन जिलो के विकास हेतु राज्य को विशेष सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

4 कृषि क्षेत्र के गहराते संकट और उससे किसानों की बढ़ती अत्महत्या हम सबके लिए गहरी चिंता का विषय है। अतः स्वामीनाथन समिति की सिफारिश के अनुरूप किसानो की उपज का समर्थन मूल्य सी.2 फार्मूला के तहत लागत का डेढ़ गुना घोषित किया जाय तथा इस आधार पर उपज की खरीद हेतु राज्य को पर्याप्त आर्थिक सहयोग दिया जाय।

4 वर्तमान आर्थिक संकुचन तथा अर्थव्यवस्था में मांग के संकट की रोशनी मे कड़े राजकोषीय नियंत्रण व संतुलन के नाम पर अंततः सामाजिक व जनहितकारी योजनाओं मे ही कटौती थोप दी जाती हैए जिससे संकट और बढ़ता है।

5 मौजूदा दौर मेंए जबकि भीषण बेरोजगारी हैए इस तथाकथित राजकोषीय नियंत्रण के बजाय सामाजिक व ढांचागत आधारभूत क्षेत्र में राज्य का सार्वजनिक निवेश बढ़ाया जाय तथा तथाकथित पीपीपी मॉडल और उसके जरिये सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण रोका जाये।

6 मनरेगा में बजट आवंटन में बढ़ोतरी की जाय व शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार गारंटी योजना का निर्माण कर इस हेतु राज्यो को आर्थिक मदद प्रदान की जाय ।

7 छत्तीसगढ़ प्रदेश प्राकृतिक सम्पदा से धनी प्रदेश है। हमारे प्राकृतिक सम्पदा का दोहन तो किया जाता है, किन्तु उसकी रायल्टी के उचित हिस्से से प्रदेश वंचित है। अत: रायल्टी का युक्तियुक्तकरण किया जाय तथा इस राशि का उपयोग संबधित क्षेत्रों व स्थानीय निवासियों के विकास के लिए किया जाय।

8 प्रदेश बारिश के अभाव में भीषण सूखे की आशंका से ग्रस्त है। यहां तक कि आगामी दिनों मे पेयजल के गहरे संकट की भी संभावना है। अत: इससे निपटने हेतु राज्य को पर्याप्त मदद की जाय। साथ ही प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण की रोशनी में अधोसंरचना विकास के लिए स्थानीय निकायों को भी पर्याप्त आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाय।

9 पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों के निर्धारण की वर्तमान बाजार आधारित प्रणाली मे बदलाव कर इसकी कीमत के निर्धारण का उचित उपाय किया जाय।

10 नोटबंदी तथा उसके बाद जीएसटी के समुचित तैयारी के बिना क्रियान्वयन से राज्यों की अर्थव्यवस्था में उसके पड़े ठोस प्रभावों का अध्ययन कर तदनुरूप राज्यों को उचित मदद दी जाय ।

11 आदिवासी व अनुसूचित जाति क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य को विशेष आर्थिक पैकेज प्रदान किया जाय।

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By Admin

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