रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी (समर्थन मूल्य) एक दिसंबर से शुरू होगी। इससे पहले ही बिचौलिये पड़ोसी राज्यों से कम दाम पर खरीदे गए धान यहां लाकर स्टाक करने लगे हैं। बिचौलिये सांठगांठ कर इन धानों को राज्य की मंडियों में खपा देते हैं।
खाद्यमंत्री अमरजीत भगत ने webreporter से हुए चर्चा में बताया कि इस वर्ष राज्य सरकार ने रिकार्ड 90 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य तय किया है तो 20 लाख किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है। 2205 कंप्यूटराइज केंद्र के माध्यम से 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदा जाएगा।
खरीद में देरी, बिचौलियों को दोहरा मजा
अफसरों के अनुसार राज्य में बहुत से किसान ऐसे हैं, जिन्होंने सरकारी मंडी में धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है, लेकिन पैसे की जरूरत की वजह से अपना धान खुले बाजार में 12 सौ से 13 रुपये क्विंटल के भाव पहले ही बेच चुके हैं। इसी तरह अच्छे किस्म का धान उत्पादन करने वाले बड़े किसान भी पंजीयन तो कराते हैं परंतु खुले बाजार में कीमत कहीं अच्छी मिलने के कारण सरकारी मंडी में नहीं बेचते हैं।बिचौलिये ऐसे ही किसानों के पंजीयन पर अपना धान सरकारी मंडी में खपा देते हैं।
धान की सबसे ज्यादा कीमत
छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को धान के लिए प्रति क्विंटल 2500 रुपये का भुगतान करती है। यह देश में सर्वाधिक है। यह राशि दो हिस्सों में मिलती है। केंद्र से घोषित समर्थन मूल्य का भुगतान तुरंत कर दिया जाता है। बाकी अंतर की राशि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किस्तों में दी जाती है।
गड़बड़ी रोकने गिरदावरी और रकबे पर सख्ती
धान खरीदी में गड़बड़ी की आशंका सरकार को भी है। यही वजह है कि सरकार इस वर्ष धान के रकबे और गिरदावरी रिपोर्ट को लेकर सख्त है। पटवारियों को गिरदावरी (कितने रकबे में कितनी और किस फसल की बुआई की जानकारी) रिपोर्ट के साथ फोटो भी भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इसी तरह खेती के रकबे में केवल उतने हिस्से को ही शामिल किया गया है, जिनते में बुआई हुई है।
छत्तीसगढ़ सरकार देश में सबसे ज्यादा कीमत पर किसानों से धान खरीदती है। राज्य सरकार अपने राज्य के किसानों हित में यह कर रही है। दूसरे राज्यों से बिचौलियों के माध्यम से आने वाले धान को रोकने के लिए सीमाओं पर सख्त जांच के निर्देश दिए गए हैं। राज्य के किसानों का हक न मारा जाए, इसके लिए गिरदावारी से लेकर पंजीयन और खरीदी व्यवस्था में कई सुधार किए गए हैं।
– अमरजीत भगत, खाद्य मंत्री