उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी के प्रयास रंग लाए हैं, राष्ट्रीय पोषण पखवाड़ा के सम्बन्ध में 3 अप्रैल 2025 को बैठक आयोजित कर उनके द्वारा आईसीडीएस (महिला एवं बाल विकास विभाग) के अधिकारियों को दिए गए निर्देशों ने साकार रूप लिया है। उपमुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि 8 अप्रैल 2025 से 22 अप्रैल 2025 तक आयोजित हो रहे राष्ट्रीय पोषण पखवाड़ा में राजस्थान राष्ट्रीय स्तर पर अपने पिछले प्रदर्शन चौथी रैंक में सुधार करते हुए इस बार पहला स्थान प्राप्त करने हेतु कड़ी मेहनत करें।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा उक्त निर्देशों की पालना में की गई कड़ी मेहनत रंग लाई है। इस बार 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक आयोजित राष्ट्रीय पोषण पखवाड़ा में राजस्थान ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस बार राजस्थान के मुकाबले छत्तीसगढ़ 9 लाख एंट्रीज से पीछे छूट गया है। पहले स्थान पर रहे राजस्थान के 33 जिलों द्वारा इसबार 11860962 गतिविधियों की एंट्रीज की गई। जबकि दूसरे स्थान पर रहे छत्तीसगढ़ के 33 जिलों द्वारा 10951961 गतिविधियों की एंट्रीज की गई है। वहीं तीसरे स्थान पर रहे महाराष्ट्र के 36 जिलों द्वारा 6712236 गतिविधियों की एंट्रीज की गई है। उपमुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों को कड़ी मेहनत से हासिल की गई इस उपलब्धि पर बधाई दी है। राष्ट्रीय पोषण पखवाड़ा भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे ’पोषण अभियान’ का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका उद्देश्य देश में ’’जन आंदोलन के माध्यम से पोषण के प्रति जागरूकता फैलाना’’ है।
’’थीम (विषय वस्तु)’’
पोषण पखवाड़ा 2025 की थीम चार प्रमुख पहलुओं पर केंद्रित रहीः
’’जीवन के पहले 1000 दिन’’ – नवजात से लेकर दो वर्ष तक का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
’’पोषण ट्रेकर में लाभार्थी मॉड्यूल का प्रचार-प्रसार’’
’’सीएमएएम मॉड्यूल के माध्यम से कुपोषण का समुदाय आधारित प्रबंधन’’
“बचपन में मोटापे से निपटने हेतु स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा’’
’’उद्देश्य’’
समाज के प्रत्येक वर्ग, विशेषकर महिलाओं और बच्चों में ’’संतुलित व पौष्टिक आहार’’ की जानकारी देना। ’’आंगनवाड़ी सेवाओं, स्वास्थ्य कार्यक्रमों और शिक्षा विभागों’’ के साथ मिलकर ’व्यवस्थित समन्वय’ से पोषण में सुधार करना। लाभार्थियों को ’’डिजिटल प्लेटफॉर्म (पोषण ट्रेकर)’’ से जोड़कर उन्हें योजनाओं से सीधे लाभान्वित करना। स्वस्थ जीवनशैली, पोषण विविधता, और स्थानीय खाद्य संस्कृति को बढ़ावा देना।
पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित की गई प्रमुख गतिविधियाँः
’’उद्घाटन समारोह (8 अप्रैल)’’ – जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
’’साइकिल रैली, वॉक और प्रभात फेरी’’
’’विशेष सुपोषण दिवस’’ – गर्भवती व धात्री महिलाओं के लिए
’’गृह भ्रमण और व्यक्तिगत परामर्श’’
’’एंथ्रोपोमेट्रिक माप (शारीरिक मापन)’’
’’स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता’’ ’’स्वयं पंजीकरण अभियान और वेबिनार’’
’’नुक्कड़ नाटक, रेसिपी प्रतियोगिता, योग सत्र, जागरूकता शिविर’’
’’पोषण संवाद और समापन समारोह (22 अप्रैल)’’
’’संबंधित विभागों और संस्थाओं की भूमिका’’
इस अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन में इन विभिन्न विभागों और संस्थाओं की सक्रिय भूमिका रहीः
’’जिला प्रशासन’’
’’महिला एवं बाल विकास विभाग’’ (मुख्य नोडल विभाग)
’’स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग’’
’’शिक्षा विभाग / रजीविका / पंचायती राज विभाग’’
’’जनसंपर्क विभाग’’ -मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार
’’सहयोगी संस्थाएँ (एनजीओ, समुदाय आधारित संगठन)’’
समीक्षा और निगरानी’: सभी गतिविधियों की जानकारी ’’पोषण ट्रेकर और जन आंदोलन डैशबोर्ड’’ पर दर्ज की गई। ’राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर’ पर लगातार समीक्षा की गई। ’’मीडिया रिपोर्टिंग, ग्राउंड रिपोर्ट, लाभार्थियों की फीडबैक’’ के आधार पर अभियान की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया गया।
राजस्थान के 33 जिलों द्वारा 25 अप्रैल 2025 तक की गतिविधियों के अनुसार चूरू – 1536980 एंट्रीज कर प्रथम, श्रीगंगानगर -1673684 एंट्रीज कर द्वितीय हनुमानगढ़ – 921718 एंट्रीज कर तृतीय टोंक – 909097 एंट्रीज कर चतुर्थ और बीकानेर – 890367 एंट्रीज कर पांचवा स्थान प्राप्त किया। इन जिलों ने लक्ष्य से कई गुना अधिक प्रदर्शन किया।
पूरे प्रदेश में ’’जन भागीदारी और विभागीय समन्वय’’ का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। जन आंदोलन डैशबोर्ड में प्रविष्टियाँ करने के लिए 3 दिनांक की बैक डेट एंट्री की सुविधा उपलब्ध रही, क्योंकि पोषण पखवाड़ा 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया गया, इस दौरान संबंधित गतिविधियाँ 25 अप्रैल 2025 रात 11ः59 बजे तक दर्ज की गई। इसके बाद सभी प्रविष्टियाँ जन आंदोलन डैशबोर्ड पर 26 अप्रैल 2025 को पूर्ण रूप से परिलक्षित की गई है।
’प्रभाव और परिणाम’’
लाभार्थियों में ’’पोषण के प्रति जागरूकता’’ में वृद्धि हुई।
गर्भवती, धात्री महिलाएं और किशोरियों में उचित आहार व्यवहार अपनाने की प्रवृत्ति बढी।
पोषण ट्रैकर में रजिस्ट्रेशन और एंथ्रोपोमेट्रिक डेटा के माध्यम से निगरानी प्रणाली मजबूत हुई।
समुदायों में ’’स्थानीय पोषण ज्ञान और संस्कृति का आदान-प्रदान’’ किया गया।