संपादकीय, 3 नवंबर 2023
छत्तीसगढ़ में भाजपा का घोषणा पत्र देख पढने के बाद ज्यादातर लोगों की जुबांन पर एक ही शब्द बार-बार उभरकर सामने आ रहा है कि क्या छत्तीसगढ़ में भाजपा के स्थानीय नेताओं के पास खुद का कोई विज़न नहीं हैं क्या। क्या स्थानीय भाजपा नेताओं में इतनी कूबत नहीं हैं कि वो घोषणा पत्र में स्थानीय वादों का बखान करने के साथ-साथ स्थानीय नेता (मुख्यमंत्री पद के दावेदार) के चेहरे को सामने रखते। घोषणा पत्रर की हेडिंग छत्तीसगढ़ के लिए मोदी की गारंटी अपने आप में सब कुछ साफ बयां कर रही है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर छत्तीसगढ़ के लिए जो कुछ भी किया जाएगा, उसमें मोदी ही सब कुछ तय करेंगे यानि कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ही सब कुछ चलेगी।
भाजपा के घोषणा पत्र को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच इस बात की भी चर्चा है कि कुछ महीनों बाद ही देश में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। लोकसभा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा और उनकी गारंटियों को भाजपा पूरे देशभर में प्रचारित प्रसारित करेगी ही, फिर स्थानीय विधानसभा जैसे चुनाव में सीधे-सीधे प्रधानमंत्री के चेहरे को सामने रख देना, कहीं न कहीं स्थानीय भाजपा नेताओं की कमजोरी को दर्शाता है। विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को अभी छत्तीसगढ़ भाजपा में ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आया है जो पूरे प्रदेश के मतदाताओं के लिए सर्वमान्य हो सके और सभी समीकरणों पर फिट बैठ सके। इसलिये छत्तीसगढ़ में न सिर्फ प्रधानमंत्री से धुआंधार चुनाव प्रचार कराया जा रहा है, बल्कि उनके नाम के साथ गारंटी जोड़कर प्रदेश की जनता को ये अहसास दिलाया जा रहा है कि भाजपा की सरकार बनने पर एक तरह से मोदी जी ही प्रदेश की सियासत को हाकंगें।
घोषणा पत्र में की गई धान खरीदी की घोषणा पर भी काफी चर्चा हो रही है। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा की है। कानाफूसी में मशगूल लोगों को तर्क है कि जब भाजपा 15 साल सत्ता में रही तो उन्हें धान को 3100 रुपये में खरीदने की नहीं सूझी, दूसरा ये कि एक एकड़ में कुल 20 से 22 क्विंटल धान की पैदावार होती है, ज्यादा अच्छी जमीन, बीज और मौसम अनुकूल रहे तो आंकड़ा एक एकड़ में 25 क्विंटल तक चला जाता है, लेकिन ऐसा कभी-कभार ही होता है। चर्चाबाजों का कहना है कि कितने लोगों के खेत में एक एकड़ में 21 क्विंटल धान पैदा होता है जरा बताएं।
जितने मुंह उतनी बातें। घोषणा पत्र में ज्यादातर घोषणाएं ऐसी हैं जो कांग्रेस के नेताओं के पूर्व में दिये गए बयानों के नहले पर दहला मारने सरीखी नजर आती हैँ। लेकिन ये व्यवहार में जब अमल में आएंगी तब बात कुछ और होगी। किसानों की धान खरीदी के बीच ही किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा भाजपा के घोषणा पत्र से एक तरह से गायब है। जबकि कांग्रेस के नेता सरकार बनते ही किसानों का कर्जा माफ और 200 यूनिट तक फ्री बिजली का ढोल बजाते हुए गली-गली घूम रहे हैं।
Assembly Election 2023 : 56 पन्नों में भाजपा ने गिनाईं छत्तीसगढ़ के लिए मोदी की गारंटी।
घोषणा पत्र जारी करके भाजपा ने कांग्रेस पर बढ़त तो हासिल कर ली है, लेकिन छत्तीसगढ़ के लिए की गई मोदी की गारंटियां प्रदेश की जनता को कितना लुभा पाती हैं, और इसके प्रतिउत्तर में कांग्रेस की ओर से जारी किये जाने वाले घोषणा पत्र का प्रदेशवासियों को बेसब्री से इंतजार है। भारतीय जनता पार्टी इससे पहले जिन भी राज्यों में चुनाव हुए हैं वहां विज़न डॉक्यूमेंट या संकल्प पत्र के रूप में घोषणा पत्र जारी करती रही है। लेकिन ये पहली बार है जब भाजपा ने गारंटी शब्द का इस्तेमाल करते हुए अपना घोषणा पत्र जारी किया है। जबकि गारंटी शब्द को राजनीतिक तौर पर सबसे ज्यादा दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दोहराया है। केजरीवाल की गारंटी को भाजपा नेता रेबड़ी बताते रहे हैँ। ऐसे में छत्तीसगढ़़ के लिए दी गई मोदी की गारंटी को प्रदेश की जनता क्या समझकर लपकेगी, इसके लिए 3 दिसंबर तक का इंतजार करना होगा।