रायपुर, 1 मार्च 2023

कांग्रेस का 85वां महाअधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न होने और कांग्रेस नेताओं के वापस अपने घर लौट जाने के बाद छत्तीसगढ़ में ईडी पर सियासत गर्माने लगी है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अधिवेशन से ठीक पहले पड़े ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के छापों को कांग्रेस अधिवेशन को बाधित करने वाली कार्रवाई करार दिया है।

राजधानी रायपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, रायपुर मेयर ऐजाज ढेबर और कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेसी नेताओं के यहां ईडी के छापे मारे, हमारे नेताओं को अधिवेशन में आने से रोकने के लिए केन्द्र के इशारे पर मारे गए थे। मरकाम ने कहा कि अधिवेशन की तैयारी में जुटे नेताओं को टारगेट कर छापे मारे गए ताकि अधिवेशन का आयोजन असफल हो जाए। अधिवेशन में काम करने वाले कारोबारी के यहां भी ईडी वाले गये लेकिन ईडी की तमाम रुकावटों के बाद भी कांग्रेस का अधिवेशन ग्रैंड सफल रहा।

कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा शासनकाल के दौरान अनेकों बड़े-बड़े घोटाले हुये इनमें से दो महत्वपूर्ण घोटाले थे 36,000 करोड़ का नान घोटाला तथा दूसरा 6,000 करोड़ रू. से अधिक का चिटफंड घोटाला। नान घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिजनों के संलिप्त होने के प्रमाण नान डायरी में आये। नान डायरी में सीएम सर, सीएम मैडम, ऐश्वर्या रेसीडेंसी वाली मैडम का अनेक उल्लेख आये। भाजपा शासनकाल में हुए हजारों करोड़ों के ‘‘नॉन घोटाले’’ की जांच के लिये ई.डी. द्वारा वर्ष 2019 में प्रकरण दर्ज किया गया था।

10 वर्षों तक राज्य में ठगी एवं लूट का तांडव मचाने वाली चिटफंड कंपनियों को गरीबों से पैसे लूटने की छूट के बाद उनको राज्य से भागने पर रमन सरकार के आंख मूंदे रहने से बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है? विगत दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस के महाधिवेशन में बाधा उत्पन्न करने के उद्देश्य से ईडी द्वारा कांग्रेस के प्रमुख पदाधिकारियों के घर छापेमारी की कार्यवाही की गयी, उसके पूरे राज्य की जनता में रोष व्याप्त है।

महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि विगत लगभग 8 माह से छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को बदनाम करने मात्र के उद्देश्य से केन्द्र सरकार व राज्य की भाजपा के ईशारे पर ई.डी. द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में 2020 से 2022 के बीच 600 करोड़ के कोयला घोटाला होने की काल्पनिक कहानी बनायी गयी है। ई.डी. की कहानी में कथित “कोल स्कैम“ का सूत्रधार सूर्यकांत तिवारी को बताया गया है तथा छल-कपट- बलपूर्वक यह सिद्ध करने का षड्यंत्र किया जा रहा है । ई.डी. की कहानी में सच्चाई होती तो उनके अधिकारियों को थर्ड ग्रेड हथकन्डे नहीं अपनाने पड़ते।

ई.डी. अधिकारियों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद भी अभी तक फर्जी कहानियों को प्रमाणित नहीं किया जा सका है। इसी हताशा में ई.डी. द्वारा अब कांग्रेस के नेताओं को टार्गेट कर उनके विरूद्ध झूठे प्रकरण बनाये जा रहे हैं। पूरे छत्तीसगढ़ राज्य की जनता यह जानती है कि सूर्यकांत तिवारी के डॉ. रमन सिंह और राज्य भाजपा के प्रमुख नेताओं से घनिष्ट संबंध रहें है और उन्ही के शासन में सूर्यकांत तिवारी ने कोयला व्यापार शुरू किया। सूर्यकांत तिवारी एवं जोगेन्दर द्वारा वर्ष 2010 से अडानी समूह के कोल व्यापार से संबंध होकर उनके लिये कोल व्यापार आरंभ किया। विगत 3-4 वर्षों में अडानी समूह की भागीदारी में लगभग 100 मैट्रिक टन कोयले का परिवहन सूर्यकांत एवं जोगेन्दर द्वारा किया गया। इससे सूर्यकांत तिवारी, जोगेन्दर एवं अडानी समूह को 100-100 करोड़ का लाभ हुआ, अडानी समूह को उनके लाभ के हिस्से की पूरी राशि सूर्यकांत तथा जोगेन्दर द्वारा हवाले के माध्यम से भेजी गयी है।

सूर्यकांत तिवारी एवं जोगेन्दर द्वारा अपने निकट मित्रों एवं संबंधियों को उक्त जानकारी स्वयं ही दी थी। उन दोनों ने यह भी बताया था कि आयकर अधिकारियों द्वारा जून 2022 में उनके घरों से जब्त मोबाईल में अडानी को करोड़ों की राशि अवैध रूप से हवाला के माध्यम से भेजे जाने के सारे प्रमाण मौजूद हैं। अडानी समूह को हवाला के माध्यम से करोड़ो की राशि के पूरे प्रमाणित दस्तावेज आयकर अधिकारियों द्वारा निश्चित रूप से ई.डी. के अधिकारियों को दिये गये होंगे, क्योंकि ईडी को पूरा केस आयकर छापों में जब्त दस्तावेजों एवं बयानों के आधार पर किया गया है। यह अत्यंत ही आश्चर्य की बात है कि ई.डी. अथवा आयकर अधिकारियों द्वारा अडानी समूह के संचालकों के विरूद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।

अडानी समूह के बड़े पदाधिकारी अमन सिंह एवं उनके आका डॉ. रमन सिंह के ईशारे पर ये गंभीर षडयंत्र ई.डी. के अधिकारियों द्वारा किया गया है। यह जगजाहिर है कि वर्ष 2003 तक डॉ. रमन सिंह मध्यवर्गीय परिवार से तथा उनके पास कुछ पैतृक संपत्ति के अतिरिक्त अन्य कोई संपत्ति नहीं थी । परन्तु 2018 के विधानसभा चुनाव के लिये डॉ. रमन सिंह द्वारा दाखिल शपथ पत्र में उनकी संपत्ति वर्ष 2008 में 1.04 करोड़ तथा 10 वर्ष बाद अर्थात 2018 में 10.72 करोड़ रूपये होना दर्शाया गया है। रमन सिंह बताये उन्होंने क्या व्यवसाय किया था जो इतनी संपत्ति बढ़ गयी।

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