रायपुर, 10 अगस्त 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की जरूरतों और समस्याओं को ध्यान में रखकर किसानों और व्यापारियों के बीच कृषि उपजों की खरीद और बिक्री की और अधिक पारदर्शी व्यवस्था करें, जिससे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य समय पर मिल सके। अश्विनी साहू के पदभार ग्रहण कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से मुख्यमंत्री शामिल हुए उनके अलावा कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे और वन मंत्री और दुर्ग जिले के प्रभारी मोहम्मद अकबर भी वर्चुअल रूप से उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार के बनाए नए कृषि कानूनों से किसानों का हित खतरे में है। किसान अपने भविष्य को लेकर बहुत आशंकित हैं। इन कानूनों के दुष्प्रभावों से छत्तीसगढ़ के किसानों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने मंडी अधिनियम में संशोधन कर किसानों के हितों को संरक्षित किया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिशत किसान लघु और सीमान्त किसान हैं, इन किसानों की उपज के सही तौल और सही मूल्य के साथ खरीदी की व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मदारी मंडियों की है। बाजार में कृषि उपज के मूल्य में उतार-चढ़ाव की सूचनाएं किसानों को आधुनिक संचार साधनों का उपयोग करते हुए समय से उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए। कृषि उपज मंडी क्षेत्र में उपज के भंडारण और कृषि उत्पादों में वेल्यूएडिशन की अधिक से अधिक व्यवस्था कर हम किसानों की आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कृषि क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। परम्परागत धान की फसल के साथ-साथ अन्य फसलों की ओर भी किसानों का रूझान बढ़ रहा है। यह अच्छे भविष्य का सुखद संकेत है। ऐसी परिस्थितियों में किसानों को सही सलाह और सुझाव देने की आशंका है ताकि वे अधिक लाभकारी फसलों का चुनाव कर सकें। राज्य सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से धान, गन्ना, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, कोदो, कुटकी और रागी जैसी फसलों में किसानों को आदान सहायता देकर उन्हें प्रोत्साहित कर रही है। इससे आने वाले समय में इन फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा, हमें उसी के अनुरूप आंकलन कर विपणन की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी होंगी। कृषि उपज मंडियों का यह प्रयास होना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में ऐसी बाजार व्यवस्था का निर्माण किया जाए, जिसमें उत्पादक किसानों के लिए जोखिम कम से कम हो और उन्हें मोलभाव करने की ताकत मिले, समय पर उन्हें भुगतान प्राप्त हो। बघेल ने कहा कि कृषि उपज मंडी और धान खरीदी केंद्रों में लगभग 4000 चबूतरों का निर्माण किया गया है, जिसमें इस वर्ष लाखों टन धान को खराब होने से बचाया गया। इन चबूतरों पर शेड का निर्माण भी मंडियों को करना है, ताकि फसलें बचाई जा सकें। उन्होंने आशा जताई कि मंडियों के जागरूक एवं अनुभवी पदाधिकारी यह काम तेजी से आगे बढ़ाएंगे।
इस अवसर पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि सी-मार्ट की स्थापना का कार्य दुर्ग से प्रारंभ होगा। गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों और बिहान की महिला समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों के मार्केटिंग की व्यवस्था भी मंडी में की जानी चाहिए। कृषि उपज मंडियों कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग इकाईयों की स्थापना, कोल्ड चेन और मार्केटिंग की व्यवस्था करने की दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि दुर्ग कृषि उपज मंडी परिसर 50 एकड़ में फैला है जहां इन व्यवस्थाओं को विकसित करने की काफी संभावनाएं हैं।