रायपुर, 3 मई 2022

मालगाड़ियों में रैक की कमी की वजह से कोयला ढुलाई में हो रही कमी का असर देश में बिजली संकट के रूप में सामने आ रहा है। लेकिन बिजली संकट के बीज नमक संकट गहराने की आशंका भी खड़ी हो गई है। मालगाड़ी में रैक की कमी से नमक की सप्लाई प्रभावित होने का अंदेशा बना हुआ है। 

एक मालगाड़ी की एक रैक में लगभग 2,700 टन खाद्य नमक ले जाया जाता है, औद्योगिक नमक के लिए एक रैक की वहन क्षमता लगभग 3,800-4,000 टन होती है। गुजरात के कच्छ में सालाना लगभग 2.86 करोड़ टन नमक का उत्पादन होता है और इसमें से 2 करोड़ टन की खपत घरेलू बाजार में औद्योगिक और खाद्य दोनों उद्देश्यों के लिए की जाती है। उद्योग में 1.2 करोड़ टन नमक का इस्तेमाल होता है।

कोयला ढुलाई को प्राथमिकता

इधर बिजली संकट को दूर करने के लिए सरकार के इशारे पर भारतीय रेलवे  ने कोयला रैक को प्राथमिकता दी हुई है। इस वजह से  कच्छ से देश भर के विभिन्न राज्यों में नमक की आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बन गई है।  नमक व्यापारियों के अनुसार, अब उन्हें औद्योगिक और खाद्य नमक दोनों के परिवहन के लिए हर दिन सिर्फ 5 रैक मिलते हैं और कोयले का आयात बढ़ने पर यह संख्या और घट जाएगी। पहले नमक की ढुलाई के लिए 8 रैक मिल रहे थे.

TOI की रिपोर्ट

अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक रेल मंत्रालय ने कच्छ के अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर उत्तर भारत के छह बिजली उत्पादन संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने को कहा है. कच्छ देश की औद्योगिक और खाद्य उपयोग के लिए नमक आवश्यकता का 75 प्रतिशत पूरा करता है. एक मालगाड़ी की एक रैक में लगभग 2,700 टन खाद्य नमक ले जाया जाता है, औद्योगिक नमक के लिए एक रेक की वहन क्षमता लगभग 3,800-4,000 टन होती है. कच्छ में सालाना लगभग 2.86 करोड़ टन नमक का उत्पादन होता है और इसमें से 2 करोड़ टन की खपत घरेलू बाजार में औद्योगिक और खाद्य दोनों उद्देश्यों के लिए की जाती है. उद्योग में 1.2 करोड़ टन नमक का इस्तेमाल होता है.

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इंडियन साल्ट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के उपाध्यक्ष शामजी कंगड़ ने द टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘हमें रोजाना 7-8 रेक मिलते थे, लेकिन पिछले एक पखवाड़े में हमें नमक परिवहन के लिए रोजाना 4-5 रेक मिलते हैं. औद्योगिक उपयोग और खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले नमक का करीब 70 फीसदी हिस्सा ट्रेन से ले जाया जाता है. उन्होंने कहा कि मानसून में नमक का परिवहन करना मुश्किल होता है और इसलिए मई में सभी व्यापारी नमक का स्टॉक करते हैं.’

गहरा संकता है नमक संकट

नमक उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यह स्थिति लंबे समय में देश में नमक की कमी पैदा कर सकता है और एक बार कमी हो जाने के बाद उसे दूर करने में एक महीने का समय लगेगा. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक मंत्रालय ने उन्हें गुजरात, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में 6 बिजली संयंत्रों को प्राथमिकता के आधार पर कोयले की आपूर्ति करने की सूची दी है. कोयले का परिवहन दीनदयाल बंदरगाह, मुंद्रा और नवलखी बंदरगाह पर आयात के बाद किया जाता है. फिलहाल कच्छ से रोजाना तीन रेक जा रहे हैं लेकिन यह बहुत जल्द बढ़कर 10 हो जाएगा.

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