रायपुर, 12 फरवरी 2022
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि खाद सब्सिडी की कटौती का असर राज्यों को मांग के अनुरूप कटौती के रूप में देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के लिए रवि फसल के लिए 7लाख 50हजार मीट्रिक टन सभी प्रकार की खाद मांग गई थी लेकिन केंद्र सरकार ने 4 लाख 11 हजार मीट्रिक टन खाद देने की सहमति दी और मात्र 3 लाख 20 हजार मैट्रिक टन सभी प्रकार के खादो की आपूर्ति ही की गई जो मांग की आधा से भी कम है। स्वभाविक बात है इससे खाद की किल्लत उत्पन्न होगी और छत्तीसगढ़ ही नहीं मध्य प्रदेश उत्तर पदेश सहित भाजपा शासित राज्यों में भी किसान मोदी निर्मित खाद संकट से जूझ रही हैं भाजपा शासित राज्यों में खाद मांगने वाले किसानों के ऊपर लाठियां चलाई जा रही है एफआईआर तक दर्ज किया जा रहा है।
धनंजय सिंह ठाकुर ने मोदी सरकार पर तीन कृषि कानूनों को लागू करने में असफल होने के बाद देशभर के किसानों से दुश्मनी निकाला जाना बताया है । उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बजट में खाद सब्सिडी में कटौती नही करती तो देश भर में खाद की किल्लत नही होती। मोदी सरकार तीन काले कृषि कानून लागू कर किसानों को सरकारी खजाना से मिलने वाले 1लाख 80 हजार करोड़ के खाद्य सब्सिडी और किसानों के उपज की सरकारी खरीदी में खर्च होने वाले लाखो करोड़ की देनदारी से बचना चाहती थी और देशभर की किसानों को अपने चन्द पूंजीपति मित्रों का गुलाम बनना चाहती थी। लेकिन कांग्रेस और किसानों के विरोध के बाद असफल हो गई और तीन काले कानून को वापस लेने मजबूर हो गई।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार जिस प्रकार से किसान विरोधी कृत्यों में लगी हुई है खाद्य सब्सिडी में कटौती कर रही है और किसानों को एमएसपी की गारंटी देने से भाग रही है। साथ ही मोदी सरकार ने जो किसानों से जो वादा किया था कि स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिश के अनुसार लागत मूल्य का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने एवं 2022 में किसानों की आमदनी बढ़ाने का वादा पूरा होते दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है।मोदी सरकार के किसान विरोधी चरित्र से ऐसा लगता है कि वह दिन दूर नहीं है जब मोदी सरकार किसानों के लिए यह नियम न बना दे कि अब किसानों को खेतो में हल चलाने से पहले फसल लगाने के लिए भी मोदी सरकार से अनुमति लेनी होगी।