नई दिल्ली, 14 जनवरी, 2022

देश का आम बजट (budget 2022) 1 फरवरी को पेश किया जाएगा. लेकिन देश में बजट ने तमाम बदलाव देखे हैं। अंग्रेजों के जमाने से लेकर अब तक बजट पेश करने के तरीकों में भारी बदलाव आया है ।  इतना कि बजट पेपर से पेपरलेस हो गया. बजट के इतिहास को लेकर कुछ ऐसी रोचक बाते हैं जो ज्यादातर लोगों को नहीं पता. आज हम यहां इन्हीं बातों को जानते हैं. 

पहला औपनिवेशिक बजट
अपने औपनिवेशिक युग के दौरान पहला भारतीय बजट (First Colonial Budget) स्कॉटिश अर्थशास्त्री और राजनेता जेम्स विल्सन ने साल 1860 में पेश किया था. यह भारतीय प्रशासन को ईस्ट-इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन में स्थानांतरित करने के दो साल बाद पेश किया गया था.

पहला भारतीय बजट
आजाद भारत का पहला (अनंतिम) बजट (First Indian Budget) 26 नवंबर, 1947 को देश के वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी ने पेश किया था. संशोधित बजट मार्च 1948 में प्रस्तुत किया गया था. उस समय कुल राजस्व 171 करोड़ रुपये था.

बजट पेश करने वाले पहले पीएम
भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू भी बजट (First PM to present Budget) पेश करने वाले शीर्ष पद पर पहले व्यक्ति थे, जब उन्होंने 1958-59 में वित्त विभाग संभाला था.

बजट में हिंदी को किया गया शामिल
साल 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में प्रकाशित होता था. बाद में, 1955-56 से, सरकार ने इसे हिंदी में भी प्रकाशित करना शुरू कर दिया.

एक मंत्री द्वारा मैक्सिमम बजट
देश के इतिहास में सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोराराजी देसाई के नाम है. उन्होंने 1962-69 के दौरान वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 10 बजट पेश किए थे. इसके बाद पी. चिदंबरम 9 बार, प्रणब मुखर्जी 8 बार, यशवंत सिन्हा 8 बार और मनमोहन सिंह ने भी 6 बार बजट पेश किया था.

बजट पेश करने वाली पहली महिला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आजाद भारत का बजट पेश करने वाली पहली महिला (First woman to present the budget) थीं. प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने वित्त विभाग भी संभाला. हालांकि, 5 जुलाई, 2019 को निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करने वाली भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनीं.

ब्लैक बजट भी है इतिहास में दर्ज
वित्तीय वर्ष 1973-74 में, पूर्व वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने करीब 550 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे के साथ बजट पेश किया, जो उस समय तक का मैक्सिमम था. तब इसे ‘ब्लैक बजट’ कहा गया. यह साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ और बेहद कमजोर मॉनसून के चलते हुआ.

ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण बजट (आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत)
डॉ. मनमोहन सिंह ने साल 1991 का ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण बजट पेश किया, क्योंकि इसने भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत के दरवाजे खोले. पीवी नरसिम्हा राव उस समय भारत के प्रधानमंत्री थे.

ड्रीम बजट
वित्तीय वर्ष 1997-98 में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भारत के ड्रीम बजट के रूप में जाना जाने वाला पेश किया. उन्होंने व्यक्तिगत आयकर के साथ-साथ कॉर्पोरेट करों के टैक्स स्लैब को कम किया जिसने आम लोगों का दिल जीत लिया. साथ ही इस बजट में आईटी सेक्टर को बढ़ावा मिला.

बजट का विलय और तारीखों में बदलाव 
साल 2017 तक, दो अलग-अलग बजट हुआ करते थे- आम बजट और रेल बजट. मोदी सरकार ने साल 2017 में इन दोनों का विलय कर दिया और बजट पेश करने की तारीख 1 मार्च से बदलकर 1 फरवरी कर दी. अरुण जेटली पहले वित्त मंत्री थे जिन्होंने नई तारीख पेश करने पर मर्ज किया गया बजट पेश किया.

समय में बदलाव
साल 2000 तक बजट फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर शाम 5 बजे पेश किया जाता था. साल 2001 में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इसे बदलकर 11 बजे कर दिया.

ब्रीफकेस की जगह बही खाता
पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री के तौर पर, निर्मला सीतारमण ने साल 2019 में ब्रीफकेस के बजाय बही खाता (पारंपरिक लाल कपड़ा) में बजट डॉक्यूमेंट्स को ले जाने की प्रथा शुरू करके एक महत्वपूर्ण बदलाव किया था.

बजट की छपाई
बजट लीक होने के बाद 1950 तक राष्ट्रपति भवन में छपता था. तब सरकार को नई दिल्ली में मिंटो रोड पर एक प्रेस में बजट मुद्रण स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होना पड़ा. बाद में, मुद्रण स्थल को 1980 में नॉर्थ ब्लॉक में एक सरकारी प्रेस में शिफ्ट कर दिया गया.

पेपरलेस हुआ बजट
भारत के इतिहास में पहली बार, साल 2021 में बजट पूरी तरह से पेपरलेस हो गया. यानी इसे प्रिंट नहीं किया गया और सभी सांसदों और सरकारी अधिकारियों को आधिकारिक वेबसाइट के जरिेये सॉफ्ट कॉपी का इस्तेमाल किया गया. यहां तक ​​कि साल 2021 में जारी किया गया आर्थिक सर्वेक्षण भी पूरी तरह से पेपरलेस था.

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